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________________ (११०) मतियज्ञान चोथु श्रुत अज्ञान अने पांचमुं अचक्कु दर्शन ए पांच उपयोग होय, अने चौरिंद्रियना दंगके ए पांच उपयोगनीसाथे एक चक्षुदर्शनसहीत ब उपयोग होय , पृथ्वीकायादि पांच थावरना दमके एक मतिअज्ञान बोजु श्रुतअज्ञान अने त्रीजुं अचकुदर्शन एम त्रणउपयोगहोय. समुर्बिम तिथंचने मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, मतिअज्ञान, श्रुतअज्ञान, चक्षुदर्शन अने अचक्षुदर्शन ए उ उपयोग कह्या . समुर्छिम मनुष्यने मतिअज्ञान, श्रुतश्रज्ञान, चक्षुदर्शन अने अचक्षुदर्शन एम चार उपयोग करा . सिहना जीवने एक केवळदर्शन अंने बीजु केवळझान ए वे उपयोग जाणवा. एक समये जीवने एक उपयोग होय. बदमस्थ जीवने पहेले समये दर्शन अने बीजे समये ज्ञान तथा केवळीनगवानने तो पहेले समये ज्ञान ( विशेषावबोध ) अने बीजे समये दर्शन ( सामान्याव बोध ) होय . इति उपयोगमार.
SR No.022353
Book TitleDandakadik Dwar Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyashreeji
PublisherUmedchand Raichand
Publication Year1917
Total Pages210
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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