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________________ (ए४) क्रियशरीरवाळो एक शरीरपर्याप्ति अंतर मुहुर्तमां अने बाकीनीपांचेपर्याप्ति एक एक समयमां अनुक्रमे एकपबी एकपुरीकरे. ____ आहार, शरीर अने इंद्रिय पर्याप्ति पुरी कर्या सिवाय कोइ जीव मरण पामे नहि. स्वयोग्य सर्व पर्याप्तिपुरीकरे तेने पर्याप्तो अनेस्वयोग्य सर्वपर्याप्ति पुरीकरीनथी त्यांसुधीतेने अपर्याप्तो कहेवाय. पर्याप्तिनां बे नेद , एक लब्धिपर्याप्तिने बीजी करण पर्याप्ति स्वयोग्य सर्वपर्याप्ति पुरीकरी नयी पण करशे ते लब्धिपर्याप्ति अने स्वयोग्य सर्व पर्याप्तिपुरीकरी लीधी ने तेने करणपर्याप्ति कहेडे. अपर्याप्ति पण वे प्रकारनी एक लब्धि थपर्याप्ति ने बीजी करण अपर्याप्ति. स्वयोग्य सर्वपर्याप्ति पुरीकरशेजनहि तेने लब्धिअप. र्याप्ति अने स्वयोग्य सर्व पर्याप्ति पुरीकरी नथी पण करशे तेने करण अपर्याप्ति कहेवाय .. . पर्याप्ति नाम कर्मना उदयथी लब्धिपर्याप्ति अने अपर्याप्ति नाम कर्मना उदयथी लब्धि अपर्याप्ति प्राप्त थाय , पण करणपर्याप्ति अने करण
SR No.022353
Book TitleDandakadik Dwar Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyashreeji
PublisherUmedchand Raichand
Publication Year1917
Total Pages210
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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