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________________ चोलीश नेद तिर्यचना तथा १०१ नेद संमूर्हिम मनुज्यना तथा नगणु प्रकारना देवोना पर्याप्ता जीव, एवं २७० थया. तथा बहा नरक सुधीना जीव पण कर्मनूमिना गर्नज मनुष्यमा आवे, ए सर्व मली ५७६ जेदनी आगति जाणवी, अने ए कर्मचूमिना गर्नज मनुष्योमांधी नीकलीने सर्व ५६३ नेदमा जाय, ते ए गति जाणवी. हवे त्रीश अकर्मनुमिना मनुष्यने विषे पंदर कर्मचूमिना मनुष्य अने पांच गर्नज तिर्यच मली वीश नेदना जीव यावी उपजे, ते आगति जाणवी, अने ए त्रीश अकर्मचूंमिना मनुष्यमांधी नीकलीने चोसठ नेदना देवोमां जश् उपजे, तेना नाम कहे . पंदर परमाधामी, सोल व्यंतर, दश नवनपति, दश तिर्यग्जुनक, दश ज्योतिषी, पहेला अने बीजा देवलोकनी नीचेना रहेनारा किल्बिषीया देवोनो एक जेद तथा सौधर्म अने ईशान ए बे देवलोकना बे नेद मली चोसठ नेद थया. ____ तथा बप्पन्न अंतरछीपने विषे पचीश नेदना जीव
SR No.022340
Book TitleDandak Tatha Laghu Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages174
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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