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________________ १०२ पृथिवी, अप् अने वनस्पति, ए त्रण दमकमांडेथी नीकल्या जीव पुर्वोक्त १७ए नेदमां जोय, एवं पंदर दमके गति आगति कही. तथा तेउ अने वायु ए वे दमकने विषे पूर्वे कहेला १७ए नेदना जीव आवे, अने ए तेल तथा वायुकायना नीकल्या जीव ४७ जेदना तिर्यंचमां जाय. एवं सत्तर दमके गति ओगति कही. दबे बेइंद्रिय, तेइंद्रिय अने चारिप्रिय . ए त्रण दंगकने विषे पूर्वे कहेला १७ए भेदना जीव आवे, अने ए त्रण दंगकमांथी नीकल्या जीव पण एज १७ए जेदना जीवमां जैश उपजे. एवं वीश दमकनी गति आगति कही. ____ असंझी पंचेंद्रिय तिर्यचमां एज पूर्वोक्त १७ नेदना जीव आवी उपजे, अने ए असंझी तिर्यचमाथी नीकल्या ३९५ नेदने विषे जाय, तेनां नाम कहे डे. पंदर परमाधामी,. दश जवनपति, सोल व्यंतर, दश तिर्यगजंजक, ए एकावन नेदना देवो तथा बप्पन
SR No.022340
Book TitleDandak Tatha Laghu Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages174
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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