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________________ 388 लोकप्रकाश का समीक्षात्मक अध्ययन ४०. नयकर्णिका- उपाध्याय विनयविजय, विवेचनकार मुनि श्री सुरेशचन्द्र 'शास्त्री ' 'साहित्यरत्न', श्री सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा, प्रथम संस्करण ४१. नियमसार- कुन्दकुन्दाचार्य, तात्पर्यवृत्ति टीका सहित, श्री कुन्दकुन्द कहान दिगम्बर जैन तीर्थ सुरक्षा ट्रस्ट, जयपुर, १६८४ ४२. निर्युक्ति संग्रह - भद्रबाहु स्वामी, श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला (लाखाबावल), श्रुतज्ञान भवन, ४५ दिग्विजय प्लॉट, जामनगर, १६८६ ४३. पंचसंग्रह- चन्द्रमहत्तराचार्य विरचित मलयगिरि टीका सहित, शारदामुद्रणालय जैन सोसायटी, अहमदाबाद, १६३५ ४४. पंचाध्यायी- पण्डित राजमल्ल विरचित टीका सहित, श्री गणेशवर्णी दिगम्बर जैन (शोध) संस्थान, वाराणसी ४५. पंचास्तिकाय - कुन्दकुन्दाचार्य विरचित तत्त्वदीपिका, तात्पर्यवृत्ति, बालावबोध टीका त्रय सहित, श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, अगास, १६६६ ४६. प्रज्ञापनासूत्र - आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर ४७. प्रज्ञापनासूत्रटीका (भाग १ से ५ ) - घासीलाल जी महाराज, जैन शास्त्रोद्धार समिति, राजकोट, १६७८ ४८. प्रमाणनयतत्त्वालोक - वादिदेव सूरि, श्री तिलोकरत्न स्थानकवासी जैन धार्मिक परीक्षा बोर्ड, पाथर्डी (अहमदनगर), तृतीयावृत्ति ४६. प्रवचनसार- कुन्दकुन्दाचार्य विरचित, परमश्रुत प्रभावक मंडल, राजचन्द्र आश्रम, अगास, प्रथमावृत्ति, १६६८ ५०. प्रवचनसारोद्धार- नेमिचन्द्र सूरि प्रणीत, अनुवादिका साध्वी हेमप्रभा श्री, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ मेवानगर, सेवा मन्दिर रावटी जोधपुर, प्रथम संस्करण २००० ५१. प्राकृत और संस्कृत साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा - साध्वी श्री दर्शनकला श्री, श्री राजराजेन्द्र प्रकाशन ट्रस्ट, जयन्तसेन म्यूजियम, मोहनखेड़ा (राजगढ़), धार, मध्यप्रदेश ५२. पातंजल योगसूत्र- भोजदेव कृत राजमार्तण्डवृत्तिसमेत, संपादक - डॉ. रमाशंकर भट्टाचार्य, भारतीय विद्या प्रकाशन, पोस्ट बॉक्स १०८, कचौड़ी गली, वाराणसी ५३. महापुराण - भारतीय ज्ञानपीठ, १८ इंस्टीट्यूशनल एरिया, लोधी रोड, नई दिल्ली ५४. महाभारत - गीताप्रेस, गोरखपुर
SR No.022332
Book TitleLokprakash Ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemlata Jain
PublisherL D Institute of Indology
Publication Year2014
Total Pages422
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size36 MB
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