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________________ 270 लोकप्रकाश का समीक्षात्मक अध्ययन इसी तरह उत्कृष्ट आयु वाला मनुष्य, जघन्य आयु वाले प्रथम नारकी में उत्पन्न हो तब उसका उत्कृष्ट भवसंवेध कालमान चार कोटिपूर्व और चालीस हजार वर्ष का और जघन्य भवसंवेध कालमान १कोटिपूर्व और दस हजार वर्ष का होता है।" प्रथम नारकी की जघन्य स्थिति दस हजार वर्ष है। सन्नी मनुष्य प्रथम नरक में उत्कृष्ट आठ जन्म और जघन्य दो जन्म करता है। आठ जन्मों में चार मनुष्य गति के और चार नरक गति के होते हैं। इस प्रकार उत्कृष्ट भवसंवेधकाल मान एक कोटिपूर्व x ४ जन्म = ४ कोटिपूर्व और दस हजार वर्ष x ४ जन्म = ४०००० वर्ष का है तथा जघन्य भवसंवेधकाल मान एक कोटिपूर्व और दस हजार वर्ष का होता है। इसी तरह जघन्य आयुष्य वाला मनुष्य यदि उत्कृष्ट स्थिति वाले प्रथम नरक में उत्पन्न हो तो उसका उत्कृष्ट भवसंवेधकालमान पृथकत्व चार मास का और चार सागरोपम तथा जघन्य भवंसवेधकालमान एक पृथकत्व मास और एक सागरोपम का होता है। प्रथम नरक में उत्पन्न होने के लिए सन्नी मनुष्य की जधन्य स्थिति पृथक्त्व मास और उत्कृष्ट कोटिपूर्व अवश्य होनी चाहिए।'६१ अर्थात् पृथकत्व मास वाला सन्नी मनुष्य प्रथम नरक में उत्पन्न हो सकता है। प्रथम नरक में उत्पन्न होने पर सन्नी मनुष्य के उत्कृष्ट आठ जन्म होने से उसका उत्कृष्ट भवसंवेधकालमान एक सागरोपम (नरक की स्थिति) x ४ = ४ सागरोपम और पृथकत्व मास (मनुष्य की स्थिति) x ४ = ४ पृथकत्व मास का होता है। प्रथम नरक में उत्पन्न सन्नी मनुष्य जघन्य दो जन्म करता है। अतः मनुष्य का जघन्य भवसंवेधकाल मान एक पृथकत्व मास और एक सागरोपम होता है। इसी तरह यदि जघन्य आयुष्य वाला सन्नी मनुष्य जघन्य आयुष्य वाले प्रथम नरक में उत्पन्न हो तब उत्कृष्ट भवसंवेधकाल मान पृथकत्व चार मास और चालीस हजार वर्ष का तथा इसका जघन्य भवसंवेधकालमान पृथकत्व एक मास और दस हजार वर्ष का होता है।१६२ इसी तरह सभी जीवों का चतुर्भगी के सभी विभागों से उत्कृष्ट और जघन्य भवसंवेध कालमान ज्ञात किया जा सकता है। नारकी जीवों की स्थिति नरक के नाम जघन्य स्थिति उत्कृष्ट स्थिति प्रथम नरक के नारकी की दस हजार वर्ष १ सागरोपम दूसरी नरक के नारकी की एक सागरोपम ३ सागरोपम तीसरी नरक के नारकी की |३ सागरोपम ७ सागरोपम चतुर्थ नरक के नारकी की |७ सागरोपम १० सागरोपम
SR No.022332
Book TitleLokprakash Ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemlata Jain
PublisherL D Institute of Indology
Publication Year2014
Total Pages422
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size36 MB
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