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________________ 160 लोकप्रकाश का समीक्षात्मक अध्ययन २२. (अ) 'हन्तेर्गमिक्रियात्वात् संभूयात्मप्रदेशानां च बहिरुहननं समुद्घातः । - तत्त्वार्थराजवार्तिक, 1. 20 (आ) गोम्मटसार जीवकाण्ड जीवतत्त्वप्रदीपिका, गाथा 543 व 668 २३. 'घातनं घातः स्थित्यनुभवयोर्विनाश इति यावत् । उपरि घातः उद्घातः समीचीन उद्घातः समुद्घातः । - षट्खण्डागम, 1 / 1.1.60 २४. 'समुद्घातगतो जीवः प्रसह्य कर्मपुद्गलान् । कालान्तरानुभवार्हानपि क्षपयति द्रुतम् ।। कालान्तरवेद्यानयमाकृष्योदीरणेनकर्माशान् । उदयावलि कायां च प्रवेश्य परिभुज्य शातयति ।।' -लोकप्रकाश, 3.213 और 214 २५. लोकप्रकाश, 3.215 २६. लोकप्रकाश, 3.216 २७. लोकप्रकाश, 3.216 २८. (अ) लोकप्रकाश, 3.217 से 219 (आ) प्रज्ञापना सूत्र, 36वां पद, सूत्र 2086 २६. लोकप्रकाश, 3.275 ३०. ३१. ३२. ३३. ३६. ३७. (अ) लोकप्रकाश, 3.275 (आ) प्रज्ञापना सूत्र, 36वां समुद्घात पद लोकप्रकाश, 3.220 से 223 ३४. (अ) लोकप्रकाश, 3.228 से 230 (आ) प्रज्ञापना सूत्र, 36वां समुद्घात पद, सूत्र 2086 ३५. (अ) लोकप्रकाश, 3.231 से 233 (आ) प्रज्ञापना सूत्र, 36वां समुद्घात पद सूत्र 2086 (अ) लोकप्रकाश, 3.234 से 236 (अ) लोकप्रकाश, 3.237 (आ) प्रज्ञापना सूत्र, 36वां समुद्घात पद ३८. प्रज्ञापना सूत्र की प्रमेयबोधिनी टीका, भाग 5, पृष्ठ 913 से 914 ३६. (अ) लोकप्रकाश, 3.240 से 245 (आ) प्रज्ञापना सूत्र, 36वां समुद्घात पद में प्रमेयबोधिनी टीका भाग 5 से उद्धृत । प्रशमरति ग्रन्थ, गाथा 247 से 248 ४०. (अ) लोकप्रकाश, 3.246 ( आ ) प्रशमरति प्रकरण, गाथा 27 (अ) लोकप्रकाश, 3.224 से 227 (आ) प्रज्ञापना सूत्र, 36वां समुद्घात पद सूत्र 2086 “अत्रायं विशेषः । कश्चिज्जीवः एकेनैव मारणान्तिकसमुद्घातेन नरकादिषूत्पद्यते तत्राहारं करोति शरीरं च बध्नान्ति कश्चित्तु समुद्घातान्निवृत्य स्वशरीरमागत्य पुनः समुद्घातं कृत्वात्रोपपद्यते ।" - व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र शतक 6, उद्देशक 6, लोकप्रकाश से उद्धृत, भाग 1, पृष्ठ 102 ४१. प्रज्ञापना सूत्र, 36वां समुद्घात पद सूत्र 2170 (अ) लोकप्रकाश, 3.265 (आ) यः षण्मासाधिकायुष्को लभते केवलोद्गमम् । करोत्यसौ समुद्घातमन्ये कुर्वन्ति वा न वा ।' -गुणस्थान क्रमारोह ग्रन्थ, लोकप्रकाश में उद्धृत 3.265 (इ) प्रज्ञापना सूत्र, 36वां समुद्घात पद सूत्र 2170 ४२. (अ) लोकप्रकाश, 3.266 से 268 (आ) प्रज्ञापना सूत्र, 36वां समुद्धात पद सूत्र 2093 से 2096 (इ) प्रज्ञापना, प्रमेयबोधिनी टीका, भाग 5, पृष्ठ 927 से 929 ४३. (अ) लोकप्रकाश, 3.269 (आ) प्रज्ञापना सूत्र, 36वां समुद्घात पद सूत्र 2093 से 2096 (इ) प्रमेयबोधिनी टीका, भाग 5 ४४. (अ) लोकप्रकाश, 3.270 से 272 (आ) प्रमेयबोधिनी टीका, भाग 5, (इ) प्रज्ञापना सूत्र, 36वां समुद्घात पद सूत्र 2093 से 2096 (ई) अभिधान राजेन्द्र कोष, भाग 7
SR No.022332
Book TitleLokprakash Ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemlata Jain
PublisherL D Institute of Indology
Publication Year2014
Total Pages422
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size36 MB
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