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________________ 71 लोक-स्वरूप एवं जीव-विवेचन (1) ज्योतिषी देव पाँच प्रकार के हैं- सूर्य, चन्द्र, ग्रह, नक्षत्र और तारा। इसमें से कई तो स्थिर हैं और कई गतिमान हैं। अतः इस तरह ज्योतिषी देव के ५ ग २ =१० भेद होते हैं।३० वैमानिक देव- विमान में निवास करने वाले देव वैमानिक देव कहलाते हैं। वैमानिक देव कल्पोपन्न और कल्पातीत दो प्रकार के होते हैं।" कल्पोपन्न देवों के अन्तर्गत बारह देवलोक के देव और तीन किल्विष देवों की गणना की जाती है। बारह देवलोक के नाम इस प्रकार है- १. सौधर्म २. ईशान ३. सनत्कुमार ४. माहेन्द्र ५. ब्रह्म ६. लांतक ७. शुक्र ८. सहस्रार ६. आनत १०. प्राणत ११. आरण और १२. अच्युत।१२ तीन किल्विष देवों में पहला किल्विष देव पहले दो देवलोक के नीचे, दूसरा किल्विष देव तीसरे देवलोक के नीचे और तीसरा किल्विष देव छठे लांतक देवलोक के नीचे रहता है। स्वामित्व-सेवकत्व का भाव जहाँ नहीं होता है वे कल्पातीत देव कहलाते हैं। नौ ग्रैवेयक नौ लोकान्तिक देव", पाँच अनुत्तर देव कुल २३ देव कल्पातीत होते हैं। अतः कुल मिलाकर देवों के २५ (भवनपति)+१०५ (व्यन्तर)+१० (ज्योतिषी)+३८ (वैमानिक) =१७८ के पर्याप्त-अपर्याप्त भेद होकर ३५६ भेद होते हैं। स्थानांग सूत्र में पाँच प्रकार के देव अन्य रूप से कहे गए हैंभव्यद्रव्यदेव- जिसने शुभकर्म उपार्जन किया और देव गति प्राप्त करने वाला हो वह पंचेन्द्रिय मनुष्य या तिर्यच 'भव्यद्रव्यदेव' कहलाता है। नरदेव-सार्वभौम चक्रवर्ती राजा नरदेव कहलाता है। धर्मदेव- साधु धर्मदेव कहलाता है। देवाधिदेव-अरिहन्त देवाधिदेव होते हैं। भावदेव-वर्तमान में देवगति वाला जीव 'भावदेव' कहलाते हैं। 4. नारक- लोकप्रकाश के नौंवे सर्ग में नरक के स्वरूप का वर्णन किया गया है। नरक सात हैं"१. रत्नप्रभा २. शर्करा प्रभा ३. बालुका प्रभा ४. पंक प्रभा ५. धूम प्रभा ६. तमःप्रभा ७. महातमःप्रभा। इन सात नरकों में उत्पन्न पंचेन्द्रिय नारकी कहलाते हैं। सात नारकी के पर्याप्त और अपर्याप्त भेद से कुल १४ प्रकार होते हैं। इस तरह अपनी-अपनी जाति के विषय में जीवों के प्रथम भेद द्वार को समझाया गया है। स्थावर जीवों में चेतना की सिद्धि पृथ्वीकाय, अप्काय, तेजस्काय, वायुकाय और वनस्पतिकाय ये पाँचों एकेन्द्रिय जीव स्थावर
SR No.022332
Book TitleLokprakash Ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemlata Jain
PublisherL D Institute of Indology
Publication Year2014
Total Pages422
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size36 MB
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