SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 77
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गति १० गामी मृत्यु. प्रदशा एवम् । द्रव्यार्थ नवतत्त्वसंग्रहः नाम | कृष्ण लेश्या । नील लेश्या | कापोत लेश्या | तेजोलेश्या | पद्म- | शुक्ल | ३ | ४ लेश्या ५ / लेश्या ६ दुर्गति दुर्गति- दुर्गति- | सुगति- | सुगति- | सुगतिगामी गामी गामी | गामीगामी आयु ११ | आयुने अंते है अंतर्मुहूर्त शेष आयु थाकते नर भव जहां जाता तिस भव न करे तदा सदृश लेश्या का स्वरूप होवे तिस लेश्या के प्रथम समय अथवा चरम समय काल अंतर्मुहूर्त लेश्या वीती है अने अंतर्मुहूर्त ही है खंध १२ | अनंत प्रदेशी अनंत प्रदेशी | अनंत प्रदेशी | अनंत | अनंत | अनंत प्रदेशी । प्रदेशी | प्रदेशी अवगाहना | असंख्य प्रदेश असंख्य प्रदेश | असंख्य प्रदेश असंख्य असंख्य प्रदेश प्रदेश | प्रदेश वर्गणा १४| अनंती वर्गणा एवम् एवम् । एवम् | एवम् । अल्पबहुत्व ३ असंख्य गुणी २ असंख्य गुणी० १ स्तोक | ४ असंख्य| ५ ६ असंख्य वर्गणा गुणी असंख्य गुणी प्रदेशा १५ गुणी विशुद्ध १६/ अविशुद्ध अविशुद्ध । अविशुद्ध | विशुद्ध | विशुद्ध| विशुद्ध प्रशस्त १७/ अप्रशस्त अप्रशस्त अप्रशस्त प्रशस्त प्रशस्त प्रशस्त ज्ञान १८ २।३।४ २।३।४ २।३।४ २।३।४ । ।३।४ | २।३।४।१ क्षेत्र १९ १बहु २ बहु ३ बहु ४ बहु | ५ बहु | ६ बहु ऋद्धि २० | १स्तोक २ बहु ३ बहु ४ बहु | ५ बहु | ६ बहु अल्पबहुत्व ७ विशेषा ६ विशेषा | ५ अनंत गुण | ३ संख्या २ संख्या १ स्तोक |४ अलेश्यी | अनंतगु.८ सलेशी वि. __ अथ स्थितिका खुलासा-समुच्चय कृष्ण लेश्या की स्थिति में ३३ सागरोपम अंतर्मुहूर्त अधिक ते पूर्वापर भवनी अपेक्षा है। अने नारकीने ३३ सागरोपम पूरी कही ते नरक भवनी अपेक्षा सूत्र है। इसी तरेह देवतानी लेश्या में पद्म आदिक में तिस भव अने पूर्वापर भवनी अपेक्षा सूत्रकारनी विवक्षा है । एह समाधान उत्तराध्ययन की अवचूरि सें जान लेना । भाव थकी १६ बोल की (का) अल्पबहुत्वम् १ जीव के योगस्थान जघन्य आदि सर्व से स्तोक । २ एकेक कर्मप्रकृति के भेद असंख्य गुणे । ३ कर्म स्थिति स्थान जघन्य आदि असंख्य गुणे । ४ षट् लेश्या स्थान स्थितिरूप असंख्य
SR No.022331
Book TitleNavtattva Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Sanyamkirtivijay
PublisherSamyagyan Pracharak Samiti
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy