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________________ ४८६ ४८ | ४९ ५० १० lololololol नवतत्त्वसंग्रहः २३) गति० पृथ्वी, अप्कायना | ४|४|१२| | ४७ लिंगद्वारे स्वलिंगी । १०८ ८ आया चारित्रद्वारे सा, सू, य । १०८ | ८ २४/ गति० वनस्पतिकायना आया चारित्र सा, छे, सू, य । १०८ ८ २५/ गति० तिर्यंच पंचेन्द्रिय, | १० सा, प, सू, य पुरुषना आया चारित्रसा, छे, प, सू, य गति० तिर्यंच स्त्रीना आया | १० बुद्धद्वारे प्रत्येकबुद्ध गति० सामान्ये मनुष्य- | २० बुद्धद्वारे बुद्धबोधित गतिना आया पुरुष गति० मनुष्यपुरुषना आया १०। ४ बुद्धद्वारे बुद्धबोधित स्त्री | गति० मनुष्यस्त्रीना आया २० बुद्धद्वारे बुद्धबोधित गति० भवनपतिना आया । नपुंसक गति० भवनपतिनीना आया बुद्धद्वारे बुद्धबोधित स्त्री । २० गति० व्यंतरना आया बुद्धद्वारे बुद्धबोधित । २० गति० व्यंतरीना आया पुरुषसामान्ये गति० जोतिषीना आया ज्ञानद्वारे, मति, श्रुत | गति जोतिषीनी देवीना आया ज्ञानद्वारे मति, श्रुत, गति० वैमानिक देवना आया १०८ मन:-पर्याय . गति० वैमानिक देवीना २० | ४ | ६० | ज्ञानद्वारे मति, श्रुत, अवधि आया | ६१ | ज्ञानद्वारे मति, श्रुत, अवधि, पुरुष मरी पुरुष १०८ ८ मनःपर्याय शेष भांगे८ दस दस ४ अवगाहनाद्वारे जघन्य तीर्थद्वारे तीर्थंकर ६३ अवगाहना मध्यम तीर्थद्वारे स्वयंबुद्ध ४ | २ अवगाहना उत्कृष्ट तीर्थद्वारे बुद्धबोधित ६५ उत्कृष्टद्वारे अच्युत तीर्थद्वारे स्त्री सम्यक्त्वथी तीर्थद्वारे तीर्थंकरी | ६६ | संख्या, असंख्यकाल च्युत | १०।१०/४।४ लिंगद्वारे गृहस्थलिंगी | ६७ | संख्या, अनंत कालका लिंगद्वारे अन्यलिंगी पतित १० । ४ २० alal elelalul alal olul alol alol ६२ هاهاهاهاهاهاها ६४ ४ । २ गत कालका १०८] अथ सांतरद्वारे एक सो तीन १०३ से लेकर एक सो आठ ताइ सीझे तो एक समय पीछे अवश्य अंतर पडे, ९७ से लेकर १०२ पर्यंत दो समय निरंतर सीझे, ८५ से लेकर ९६ लगे
SR No.022331
Book TitleNavtattva Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Sanyamkirtivijay
PublisherSamyagyan Pracharak Samiti
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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