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________________ नथी वैक्रिय तैजस ० । ३९८ नवतत्त्वसंग्रहः (१५०) आपसमे नियम भजनेका यंत्र औदारिक २ | वैक्रिय २ | आहारक २ तैजस १ | कार्मण १ औदारिक सर्व देश ३ नथी । नथी। भजना भजना वैक्रिय सर्व १, देश २ नथी भजना भजना आहारक सर्व १, देश २ | नथी नथी भजना भजना तैजस देशबन्ध १ । नियमा नियमा नियमा भजना कार्मण देशबन्ध १ . नियमा नियमा नियमा नियमा (१५१) अल्पबहुत्वयन्त्रम् अल्पबहुत्व देशबन्ध सर्वबन्ध अबन्धक औदारिक असंख्य ८ अनंत ६ विशे०७ असंख्य ४ असंख्य ३ विशे० १० आहारक संख्यात २ स्तोक १ विशे० ११ विशे० ९ अनंत ५ कार्मण तुल्य ९ तुल्य ५ तेरह बोलकी अल्पबहुत्व संपूर्ण (१५२) आपआपनी अल्पबहुत्व औदारिक ३ असंख्य १ स्तोक २ विशे० वैक्रिय २ असंख्य १ स्तोक ३ अनंत आहारक २ संख्येय १स्तोक ३ अनंत २ अनंत १ स्तोक कार्मण २ अनंत १ स्तोक आयुकर्म १ स्तोक २ संख्येय इति श्रीभगवत्यां सर्वबन्ध देशबन्ध अधिकार शते ८, उ० ९ और विशेष स्वरूप टीकासे जानना. किस वास्ते ? थोडे घणे है टीकामे स्वरूप कथन कीया है. ""जीवा १ य लेस्स २ पक्खी ३ दिट्ठी ४ अन्नाण ५ नाण ६ सन्नाओ ७ । वेद ८ कसाय ९ उवओग १० जोग ११ एगारस जीवट्ठाणा ॥१॥" गाथा है भगवती श० २६ (उ० १). ० तैजस १. छाया-जीवाश्च लेश्याः पक्षो दृष्टिरज्ञानज्ञानसज्ञाः । वेदः कषाय उपयोगो योग एकादश जीवस्थानानि ।।
SR No.022331
Book TitleNavtattva Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Sanyamkirtivijay
PublisherSamyagyan Pracharak Samiti
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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