SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 421
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३८६ नवतत्त्वसंग्रहः (४२) ब्रह्महित प्र०, (४३) ब्रह्मोत्तर प्र०, (४४) लांतक प्र०, (४५) महाशुक्र प्र०, (४६) सहस्रार प्र०, (४७) आनत प्र०, (४८) प्राणत प्र०, (४९) पुष्प प्र०, (५०) अलंकार प्र०, (५१) आरण प्र०, (५२) अच्युत प्र०, (५३) सुदर्शन प्र०, (५४) सुप्रबुद्ध प्र०, (५५) मनोहर प्र०, (५६) सर्वतोभद्र प्र०, (५७) विशाल प्र०, (५८) सुमनस प्र०, (५९) सौमनस प्र०, (६०) प्रीतिकर प्र०, (६१) आदित्य प्र०, (६२) सर्वार्थसिद्ध प्र० इति ६२ प्रतरनामानि. अथ ध्यानसामाप्ती (?) सवैइया ३१ सापूज जो खमाश्रमण जिनभद्र गणि विभु दूषण अंधारे बीच दीप जो कहायो है सत सात अधिक जो गाथाबद्धरूप करी ध्यानको सरूप भरी सतक सुहायो है टीका नीका सुषजीका भेदने प्रभेद धीका तुच्छ मति भये नीका पठन करायो है लेसरूप भाव धरी छंद बंध रूप करी आतम आनंद भरी वा लष्या लगायो है ॥१॥ इति श्रीजिनभद्रगणिक्षमाश्रमणविरचितध्यानशतकात्. (१३५) असज्झाइ स्थानांग, निसी[ह]थ, प्रवचनसारोद्धार (द्वा. २६८) थकी उल्कापात तारा डूटे उजाला हुइ । क्षेत्र जिस मंडळमे | निवर्त्या पीछे १ प्रहर सूत्र न पढे रेषा पडे आकाशमे कणगते कहीये जिहां रेषा हुइ । क्षेत्र जिस मंडळमे | निवर्त्या पीछे १ प्रहर सूत्र न पढे उजाला नही दिग्दाह दसो दिसा अग्निवत् राती होइ क्षेत्र जिस मंडळमे निवर्त्या पीछे १ प्रहर सूत्र न पढे आकाशे गंधर्वनगर देवताना कीधा दीसे । क्षेत्र जिस मंडळमे निवर्त्या पीछे १ प्रहर सूत्र न पढे आकाशथी सूक्ष्म रज पडे क्षेत्र जिस मंडळमे जा लग पडे ता लगे मांसरुधिरवृष्टि क्षेत्र जिस मंडळमे १ अहोरात्र निवर्त्या पीछे केस १ पाषाणवृष्टि क्षेत्र जिस मंडळमे निवर्त्या पछे सूझे अकाल गर्जे क्षेत्र जिस मंडळमे २ प्रहर अकाल बीजळी क्षेत्र जिस मंडळमे १ प्रहर आसो सुदि ५ ना दो पहरथी लेकर सब जगे ११ दिन असज्झाइ कार्तिक वदि १ (१२॥ दिन असज्झाइ) आषाढ चौमासी पडिकमणाथी श्रावण वदि सब जगे २, २॥ दिन ___एवं कार्तिक चौमासी सब जगे २, २॥ दिन असज्झाइ एवं चैत्र सुदि ५ थी वैशाख वदि सब जगे ११ दिन असज्झाइ पडवा लगे (१२॥ दिन असज्झाइ) राजाना युद्ध जिस मंडले निवर्त्या पछे सूझे म्लेच्छने भये जिस मंडले निर्भय थया पीछे १ अहोरात्र
SR No.022331
Book TitleNavtattva Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Sanyamkirtivijay
PublisherSamyagyan Pracharak Samiti
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy