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________________ नवतत्त्वसंग्रहः करमको घेरे गेरे नाना कछु नही तेरो मात तात भ्रात तेरो नाही कर चूप है चिदानंद सुषकंद राकाके पूरन चंद आत्मसरूप मेरे तूही निज भूप है १ आथ साथ नाही चरे काहेकू गेरत गरे संगी रंगी साथी तेरे जाथी दुख लहिये. एक रोच केरो तेरो संगी साथी नही नेरो मेरो मेरो करत अनंत दुष सहिये ऊषरमे मेह तैसो सजन सनेह जेह षेहके बनाये गेह नेह काहा चहिये जान सब ज्ञान कर वासन विषम हर इहां नही तेरो घर जाते तो सो कहिये २ इति अथ 'अन्य' भावना तेल तिल संग जैसे अगनि वसत संग रंग है पतंग अंग एक नाही किन्न है करमके संग एक रंग ढंग तंग हूया डोल तस छंद मंद गंद भरे दिन्न है दधि नेह अभ्रमेह फूल सुगंध जेह देह गेह चित एह एक नही भिन्न है आतमसरूप धाया पुग्गलकी छोर माया आपने सदन आया पाया सब घिन्न है १ काया माया बाप ताया सुत सुता मीत भाया सजन सनेही गेही एही तासो अन्न है ताज वाज राज साज मान गान थान लाज चीत प्रीत रीत चीत काहुका ए धन्न है । चेतन चंगेरो मेरो सबसे एकेरो होरे डेरो हुं वसेरो तेरो फेरे नेरो मन्न है आपने सरूप लग माया काया जान ठग उमग उमग पग मोषमे लगन्न है २ अथ 'अशुच (चि)' भावना षट चार द्वार षुले गंदगीके संग झुले हिले मिले षिले चित कीट जुं पुरीसके हाड चाम खेल घाम काम आम आठो जाम लपट दपट पट कोथरी भरी सके गंदगी जंदगी है बंदगी करत नत तत्त वात आत जात रात दिन जीसके मैली थेली मेली वेली वैलीवद फैली जैली अंतकाल मूढ तेऊ मूए दांत पीसके १ जननीके खेत सृग रेतको करत हार उर धर चरन करी धरी देह दीन रे सातो धात पिंड धरी चमक दमक घरी मद भरी मरी षरी करी वाजी छीन रे प्रिये मीत जार कर छर न मे राख कर आन वेठे निज घर साथ दीया कीन रे छरद करत फिर चाटत रसक अत आतम अनूप तोहे उपजेना घीन रे २ ३२४ अथ 'आश्रव' भावना हिंसा झूठ चोरी गोरी कोरी केरे रंग रस्यो क्रोध मान माया लोभ षोभ घेरो देतु है राग द्वेष ठग मेस नारी राज भत्त देस कथन करन कर्म भ्रमका सहेतु है चंचल तरंग अंग भामनिके रंग चंग उद्गत विहंग मन अति गर भेतु है मोहमे मगन जग आतम धरम ठग चले जग मग जिय एसें दुष लेतु है १ नाक कान रान काट वाटमे उचाट ताट सहे गहे बंदी रहे दुख भय मानने जोग रोग सोग भोग वेदना अनेक थोग परे विल लाये दुख लीये पीये जानने
SR No.022331
Book TitleNavtattva Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Sanyamkirtivijay
PublisherSamyagyan Pracharak Samiti
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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