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________________ २९० २५ संज्ञा नवतत्त्वसंग्रहः | नोसंज्ञोपयुक्त | संज्ञोपयुक्त १, | एवम् एवम् | नोसंज्ञोपयुक्त नोसंज्ञोनोसंज्ञोपयुक्त २ पयुक्त आहारक आहारी आहारी | आहारी | आहारी अनाहारी | ज० १, उ० ३ | ज० १, उ० | ज० १, उ० | ज० १, उ० | ज० १, उ० | १ तेही २६ आहार आहारी २७ भव २८ आकर्ष- | ज० १, उ०३ | एक भव आश्री घणे भव | ज० १, उ०७ आश्री २९ स्थिति- ज० उ० एक जीव आश्री ज० १, उ० ज० १, उ० ज०१, उ० ज० २, उ० पृथक्त्व शत | पृथक् शत | पृथक् शत | २ ज० २, उ० । | ज० २, उ० ज० २, उ० | ज० २, उ० ० २ से ९ हजार | २ से ९ हजार | २ से ९ हजार ज०१ समय, | एवम् । एवम् ज० १ समय, ज० उ० देश ऊन | उ० अंतर्मुहूर्त | अंतर्मुहूर्त, पूर्व कोटि उ० देश ऊन पूर्व कोटि सर्वाद्धा | सर्वाद्धा | सर्वाद्धा ज० १ समय, सर्वाद्धा उ० अंतर्मुहूर्त एवम् नास्ति अंतरम् - नाना जीव | ज० १ समय, | आश्री उ० अंतर्मुहूर्त ३० अंतर- ज० अंतर्मुहूर्त एक जीव उ० वनस्पति काल घणा जीव | ज०१ समय, आश्री उ० संख्यात आश्री नास्ति अन्तरम् नास्ति अन्तरम् नास्ति ज० १ समय, नास्ति अन्तरम् | उ० ६ समय | अंतरम् वर्ष १ केवल असं० भागमें असं० भागमें सर्व० ३१ समु- | वे १, क २, वे १, क २, | वे १, क २, | ६ केवल | द्धात | मर३ । म ३, वै ४, ते ५ | म३, वै ४,ते ५ | नही ३२ क्षेत्र लोकके असं एवम् । - ख्यमे भाग ३३ स्पर्शन| लोकके असं एवम् ख्यमे भाग ३४ भाव क्षयोपशम औपशमिक वा क्षायिक | - क्षायिक
SR No.022331
Book TitleNavtattva Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Sanyamkirtivijay
PublisherSamyagyan Pracharak Samiti
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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