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________________ | २१६ ९९ | संघयण ६ ६ संस्थान ६ ६ ईरियावहिया | ३,७/ भंग ८ ८ | १०० नवतत्त्वसंग्रहः ६ ६ ६ ६ ६ ६| ३| ३ | ३ | ३| १] १, १ ६ ६ ६ ६ ६ ६/ ३ | ३ | ३ | ३| ३ | ३| ३| ३ | ३ | १/ २२ ४ ७ | ७ | ७ ७ ७ ७ ७ ७ | ७ | ५| स | स | स स स स स स | वी वी वी | १०१) 4G m9| Gw 4G 4G m9F | १०२ सराग सराग वीतराग २ | २ १०३| दृष्टिद्वार ३ | मि० स | मिश्र स स स स स स | स | स स स | स १०४] पर्याप्त २ | २ अपर्याप्त २ १०५ | प्रत्याख्यानी | अप्र० अप्र० अप्र० अप्र० प्र० प्र० प्र० प्र० प्र० | प्र० | प्र० प्र० प्र० प्र० अप्रत्याख्यानी १०६ सूक्ष्म बादर २ | २ | बादर १ | १ | १| १ | १| १| १ | १ | १ | १ | १ | १ १०७ त्रस स्थावर २ / ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० स्था० स्था० १०८] गति कौन- | ४ | ४ | ४ | ४ | म म | म| म| म | म | म | म | म | म सीमे? १०९ परत अपरत | २ | १ | १ | १ | १| १ | १| १| १ | १ | १| १ | १ | १ | संसारी । । । । । । । । । । । । प्रथम गुणस्थानमे परत संसार हो जाते है, मेघकुमारके हाथी के भववत् ज्ञेयं. गुणस्थानमे | काल करे | करे | करे | क| क| क| क| क| क| क| क न | न | क काल करे परभव | जाये | जाये | न जाये | न | न | न | न | न | न | न | न | साथ जाये इन्द्रियद्वार | १।२।३।४। | १।२॥ | ५ | ५ | ५ | ५ | ५ ५ ५ ५ ५ ५ ५ | ५ ३.४५ २१ | १२ | ० | १२ | १२ | २१ | २६/ ० ० ० ० ० ० गति जाये | देवलोक ०
SR No.022331
Book TitleNavtattva Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Sanyamkirtivijay
PublisherSamyagyan Pracharak Samiti
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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