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________________ २४ १२८ १२८ १३० ૧૩૧ ... -- १०२ १३४ १३४ १३६ १४० १४२ १४२ १४४ १४४ १५० १५० १५२ १५२ १५२ (६७) ज्ञान दर्शन विभंग एह तीन द्वार कहे है, ते यंत्रम (कोष्टक-५५) (६८) असंबद्ध अवधिज्ञान के धणीके अने अवधिके क्षेत्रके विचाले अंतर पडे ते यंत्रसे (कोष्टक-५६) (६९) 'उपमा प्रमाण लिख्यते (कोष्टक-५७) (७०) प्रकारांतरसुं श्रेणि करनेकी आम्नाय यंत्रसे स्वरूप जानना (कोष्टक-५८) (७१) श्रीअनुयोगद्वार (सू०१४६) से संख्य असंख्य अनंत स्वरूपम् (कोष्टक-५९) (७२) इन तीन कांडका घन खंड यंत्रम् (कोष्टक-६०) (७३) मध्यम असंख्यात असंख्यातमे जे पदार्थ है तिनका यंत्रम् (कोष्टक-६१) (७४) मध्यम अनंत अनंतेमे जो जो पदार्थ है तिनका यंत्रम् (कोष्टक-६२) (७५) स्वरूपयंत्रं (कोष्टक-६३) (७६) वर्गके छेदांका स्वरूप निरूपक यंत्रम् (कोष्टक-६४) (७७) इन तीनो धारका जो प्रयोजन है सो यंत्रं गोमट्ट म्मट)सारात् (कोष्टक-६५) (७८) इन्द्रियस्वरूपयंत्रम् प्रज्ञापना १५ मे पदे (कोष्टक-६६) (७९) श्रीप्रज्ञापना पद १५ से इन्द्रिययन्त्रम् (कोष्टक-६७) (८०) इन्द्रियांकी उत्कृष्ट विषय (कोष्टक-६८) (८१) श्वासोच्छ्वासस्वरूपयंत्रम् (कोष्टक-६९) (८२) द्रव्यप्राणादि (कोष्टक-७०) . (८३) आठ आत्मा भगवती श० १२, उ० १० (सू० ४६७)(कोष्टक-७१) (८४) भगवती श० १२, उ० ९ (सू० ४६१-४६६), पंच देव (कोष्टक-७२) (८५) (पुद्गलपरावर्तन) भगवती श० १२, उ०४ (सू०४४८)(कोष्टक-७३) (८६) पर्याप्तियंत्रम् (कोष्टक-७४) (८७) (पर्याप्ति अपर्याप्ति षट्क)(कोष्टक-७५) (८८) पर्याप्तिके सर्व कालकी अल्पबहुत्व (कोष्टक-७६) (८९) श्रीप्रज्ञापना पद २८ मेथी पर्याप्ति स्वरूपयंत्रमिदम् (कोष्टक-७७) (९०) आहारयंत्र पन्नवणा पद २८ (कोष्टक-७८) (९१) आगे गुणस्थान पर नाना प्रकारके १६२ द्वार है तिनका स्वरूप यंत्रसे (कोष्टक-७९) (९२) अथ अजीवतत्त्वसंग्रह लिख्यते (९३) भगवती (कोष्टक-८०) (९४) अनुयोगद्वार (सू०७४,८०-८९) से पुद्गलयंत्रम् (कोष्टक-८१) (९५) लोकके प्रतर और प्रदेश (कोष्टक-८२) (९६) (कोष्टक-८३) (९७) लोकका स्वरूप (कोष्टक-८४) (९८) श्रीप्रज्ञापना दशमे पदात् यंत्र (कोष्टक-८५) (९९) श्रीभगवतीके षोडशमे शते ८ मे उद्देशे (कोष्टक-८६) (१००) श्रीभगवती दशमे शते प्रथम उद्देशके दस दिग् स्वरूपयंत्रम् (कोष्टक-८७) (१०१) श्रीभगवत्यां १०मे शते प्रथम उद्देशे, ११ मे शते दसमे उद्देशे, षोडशमे शते ८ मे उद्देशे (कोष्टक-८८) (१०२) भगवती शते १३मे चतुर्थ उद्देशके प्रदेशांकी परस्पर स्पर्शनायन्त्रम् (कोष्टक-८९) ૧૩૩ ૧૩૫ ૧૩૫ ૧૩૭ ૧૪૧ ૧૪૩ ૧૪૩ ૧૪૫ ૧૪૫ ૧૫૧ ૧૫૧ ૧૫૩ ૧૫૩ ૧૫૩ ૧૫૩ ૧૫૫ ૧૫૭ ૧૫૭ ૧૫૯ ૧૫૯ ૧૬૧ ૧૬૧ ૧૬૫ ૨૩૫ ૨૩૫ ૨૩૭ ૨૩૯ ૨૪૧ १५२ १५४ १५६ १५६ १५८ १५८ १६० १६० १६४ २३४ २३४ २३६ २३८ २४० २४२ ૨૪૩ २४६ २४६ २४० २४७ २४७ ૨૪૧ २४८ ૨૪૯ ૨૫૫ २५४
SR No.022331
Book TitleNavtattva Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Sanyamkirtivijay
PublisherSamyagyan Pracharak Samiti
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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