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________________ १२४ नवतत्त्वसंग्रहः भवनपति व्यंतरनो अवधिज्ञान ऊंचा घणा अने और देवताके नीचा घणा तथा नारकी, जोतिषीने तिरछा घणा अने मनुष्य, तिर्यंचने ऊंचा बी हुई अने नीचा बी होवे अने थोडा बी होवे अने घणा बी होवे, तिस वास्ते विचित्र कह्या. इति संस्थानद्वार ३. हिवै चौथा अनुगामीद्वार. अवधिज्ञान दो प्रकारे है. एक अनुगामिक १ अननुगामी २. जिस पुरुषकू अवधिज्ञान उपना ते पुरुषके साथ ही अवधिज्ञान चाले, अलग न रहे, जिम हस्तगत दीवा जिहां जाय तिहां साथ ही आवे तिम अवधिज्ञान पुरुषके साथ ही आवे ते 'अनुगामिक', अने जे अवधि पुरुषको जौनसे क्षेत्रे उपना है ते अवधिज्ञान तिस ही ज क्षेत्रे रहै, पुरुष साथ अन्यत्र जगे न जाय जिम सांकले बांध्या दीवा जिहां है तिहां ही रहै तिम ते अवधिज्ञान जिस क्षेत्रे उपना तिहां ही प्रकाश करे, पुरुष चले साथ न चले अने तेही पुरुष जदि फिरकर तिस ही क्षेत्रमे आवे तदा अवधिज्ञान फेर होवे ते 'अननुगामिक' अवधिज्ञान कहीये. हिवे तिहना स्वरूप लिखीये है___अनुगामी १ अननुगामी २ मिश्र कया कहीए ? जे अवधिज्ञान उपना एक पासेका तो तिहां ही रहै अने दूजे पासेका पुरुषके साथ चाले ते 'मिश्र' अवधिज्ञान कहीये. फिरकर तिस ही क्षेत्रमे आवे तो चारो ओर फेर देखने लगे है. एह अवधि मनुष्य, तिर्यंचने होता है. ए अनुगामी द्वार ४. (५२) हिवे अवस्थित द्वार पांचमा कहीये है.स्थिति | क्षेत्र आश्री | उपयोग आश्री | गुण आश्री । पर्याय आश्री लब्धि आश्री स्थिति १ स्थिति २ । स्थिति ३ । | स्थिति ४ । स्थिति ५ . अवधि- । ३३ सागरोपम | अंतर्मुहूर्त उपरांत | आठ समयेसे | पर्याय सात | लब्धि आश्री ज्ञानकी अनुत्तर विमानके | एक द्रव्यमे उप- | उपरांत गुणमे | समय प्रमाण | ६६ सागर पांच प्रकारे | देवता आश्री । योग नही रहै है | उपयोग नही । उपयोग रहै | साधिक हिवै चल द्वार ६-जे अवधिज्ञान वधे बी अने घटे बी ते 'चल' अवधिज्ञान कहीये. ते छ प्रकारे वधे अने छ प्रकारे हान होय ते. (५३) यंत्रसे स्वरूप हान अने वृद्धिका जाननासंख्या | अनंत भाग १ | असंख्य | संख्यात संख्यात असंख्य अनंत गुण भाग २ भाग ३ गुण ५ अधिक असत् १०० १०० १०० १०० १०० कल्पना ९९ ९८ गुण ४ १०० हीन ९८ ९० १० असत् ९९ कल्पना १०० १०० १०० १०० १००
SR No.022331
Book TitleNavtattva Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Sanyamkirtivijay
PublisherSamyagyan Pracharak Samiti
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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