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________________ पछी मारी लासने स्कंधना खेतरमा लई जईने लाकडासाथे उभी करवी. ते पछी आपणा सघळा गाय भैस घोडाने तेना खेतरमा छोडी देवा, के जे तेना खेतरना सघळा धान्यनो नाश करी मुके. अने तारे कोई वृक्षनी ओथमां छुपाईने जोया करवू, ज्यारे स्कंध क्रोध करीने मारापर घात करे ते वखते तारे बीजा लोकोने संभळाववाने माटे जोरथी बूम पाडवी के स्कंधे मारा बापने मारी नांख्यो ॥ ८९-९० ॥ ज्यारे तुं आ प्रमाणे करशे त्यारे राजा स्कंधथी मने मरलो जाणीने स्कंधने कुटुंबसहित शिक्षा करशे अने एनी सघळी संपत्ति छीनवी लेशे. एटले ए स्कंध पुत्रसहित मरणने प्राप्त थई जशे ॥ ९१ ॥ ... आ प्रमाणे महापापरुप वचन कहतो कहतो ते वक्र मरी गयो अने तेना पुत्रए पण पितानी आज्ञानुं पालन कयु. जे नीतिज छे के पापकार्य करवावाळाना सहायक घणाओ थई जाय छे ॥ ९२॥ जे दुष्ट मरतां मरतां पण पारकाने सुखी जोवामां अधीरो छे, तेने निर्दयी यमराज सिवाय बीजो कोण छे के जे हितनी वात समजावी शके ? ॥ ९३ ॥ हे ब्राह्मण ! जे प्रमाणे वक्रए पोताना पुत्रए कहेला हितवचनोनो कई पण स्विकार न कर्यो, माटे ते वक्रना जेवा तमारामां जो कोई दुष्ट होयतो हुं हितरुप वचन कहेता डरूं छु ॥ ९४ ॥ जे पुरुष महाद्वेषरुपी अग्निथी दग्ध हृदयवाळा छे, ते पारकानी चिंता सिवाय सुखथी खाता नथी, सुता नथी अने पारकी सम्पतिने जोई शकता नथी एटले तेओ बन्ने लोकमां निर्मल सुख पामता नथी ॥ ९५ ॥ जे नीच निरंतर द्विष्टचित्त रहे छे अने तुच्छ अज्ञानी पारकी सम्पतिने जोई शकतो नथी,
SR No.022328
Book TitleDharmpariksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorIshwarlal Karsandas Kapadia
PublisherMulchand Karsandas Kapadia
Publication Year1910
Total Pages244
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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