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भागीरथी नामनी बे स्त्रीओ एकठी सुती हती, ते बन्नेना स्पर्शथी एकने गर्भास्थिति थइने जगत् प्रसिद्ध भगीरथ नामनो पुत्र उप्तन्न थयो ॥ १६ ॥ जो स्त्रीना स्पर्श मात्रथी स्त्रीने गर्भ थाय छे तो पुरुषना स्पर्शथी मारी माताने गर्भ केमे नहि थाय ? ॥ ५७ ॥ तथा गांधारि नामनी छोकरी धृतराष्ट्ने आपवानो निश्चय कर्यो हतो, ते वाक्सम्प्रदानथी बे मास पहेलांज रजस्वला थई गई ॥ ५८ ॥ चोथे दिवसे स्नान करीने तेणे फनसवृक्षने आलिंगन कर्यु, तेज दिवसथी गांधारिने मोटा भार सहित गर्भास्थिति थईने पेट वधवा लाग्युं ॥ ५९ ॥ तेना पिताए गांधारीने गर्भ थयलो जायो तो तरतज धृतराष्ट्रने परणावी दीधी, केमके लोकापवाद दूर करवाने माटे सघळा यत्न करे छे ॥६० ॥ पछी ते गांधारीना पेटमां फनसर्नु बहु मोटुं फल थयुं, तेमांथी एकसो पुत्र उत्पन्न थया ॥ ६१ ॥ मनोवेगे कयु के-कहो, तमारा पुराणमां एवं छे के नहि ? ब्राह्मणोए कह्यु के बेशक छे, तेनो कोण ना कहि शके छ ? ॥ ६२ ॥ जो फनसना आलिंगनथीज पुत्रनुं थर्बु कहेलुं छे तो मारी माताने पुरुषनो स्पर्श थवाथी पुत्रना उत्पत्ति थवी असत्य कम छे? ॥ ६३ ॥ आ प्रमाणे मनोवेगनुं वचन सांभळीने ब्राह्मणोए कह्यु-के तुं पतिना स्पर्श मात्रथी उत्पन्न थयो ते तो सत्य छे, परंतु तपस्वीओनुं वचन सांभळीने तुं बार वर्ष सूधी माताना गर्भमांज रह्यो, ए वात अमे साची मानता नथी ॥ ६४-६५ ॥ त्यारे मनोवेगे कह्यु के-पूर्व काळमां श्री कृष्णे सुभद्राने चक्रव्युहनी रचनाना व्योरा कह्या हता, त्यारे तेना गर्भमा रहेला अभिमन्युए सांभळ्युं हतुं, एवं तमारा पुराणोमां का