SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 61
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ की व्याख्या अतिसूक्ष्म है। आवलिका : असंख्यात समय की एक आवलिका होती है। मुहूर्त : एक करोड, सतसठ लाख, सत्तहत्तर हजार, दो सौ सोलह (१,६७, ७७, २१६) से कुछ अधिक आवलिकाओं का एक मुहूर्त होता है । अथवा २ घडी (४८ मिनट) का भी एक मुहूर्त होता है ।' दिन : ३० मुहूर्त का एक दिन होता है । पक्ष : पन्द्रह दिनों का एक पक्ष होता है । मास : दो पक्ष का एक मास होता है। वर्ष : बारह मास का एक वर्ष होता है । पल्योपम : असंख्यात वर्षों का एक पल्योपम होता है। सागरोपम : दस कोडाकोडी पल्योपम का एक सागरोपम होता है । उत्सर्पिणी : दस कोडाकोडी सागरोपम का एक उत्सर्पिणी काल होता है। इसमें ६ आरे होते हैं। अवसर्पिणी : इतने ही काल का एक अवसर्पिणी काल होता है। , कालचक्र - उत्सर्पिणी तथा अवसर्पिणी, दोनों को मिलाकर २० कोडाकोडी सागरोपम का एक कालचक्र होता है। एक पुद्गल परावर्तन काल : अनंत कालचक्रों का एक पुद्गल परावर्तन काल होता है। १ समय - अविभाज्य अतिसूक्ष्म काल १ जघन्य अन्तर्मुहूर्त - नौ समय १ आवलिका - असंख्यात समय १ क्षुल्लक भव - २५६ आवलिकाएँ १. वर्तमान समयानुसार एक सेकेंड में ५८२५ आवलिकाओं से कुछ अंश अधिक होता है। २. करोड को करोड से गुणा करने पर कोडाकोडी होता है। श्री नवतत्त्व प्रकरण
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy