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________________ १३२५) प्रति अकर्मभूमि में से युगपत् कितने मोक्ष जा सकते हैं ? उत्तर : युगपत् दस । १३२६) उत्सर्पिणी के तीसरे आरे में युगपत् कितने मोक्ष जा सकते हैं ? उत्तर : युगपत् १०८ । १३२७) उत्सर्पिणी के पहले, दूसरे, चौथे, पांचवें तथा छठे आरे में युगपत् कितने मोक्ष जा सकते हैं ? उत्तर : युगपत् दस । १३२८) अवसर्पिणी के चौथे आरे में युगपत् कितने मोक्ष जा सकते हैं ? उत्तर : युगपत् १०८ । १३२९) अवसर्पिणी के पांचवें आरे में युगपत् कितने मोक्ष जा सकते हैं ? उत्तर : युगपत् २० जीव । १३३०) अवसर्पिणी के पहले, दूसरे, तीसरे व छठे आरे में कितने मोक्ष जा सकते हैं? उत्तर : युगपत् दस जीव ।। १३३१) एक समय में सिद्ध हो तो कितने जीव सिद्ध होते हैं ? उत्तर : एक समय में जीव मोक्ष में जाय तो १०३-१०४-१०५, १०६-१०७ अथवा १०८ की संख्या में से कोई भी संख्या वाला जा सकता है। पश्चात् अवश्य विरह पड़ता है। १३३२) दो समय में मोक्ष में जाय तो कौनसी संख्या वाले जा सकते हैं ? उत्तर : ९७-९८-९९-१००-१०१ अथवा १०२ में से कोई भी संख्या वाले जीव दो समय में मोक्ष जा सकते हैं, फिर अवश्य अंतर पड़ता है। १३३३) तीन समय तक मोक्ष जाय तो कौन सी संख्यावाले जा सकते हैं ? उत्तर : ८५ से ९६ की संख्या में से कोई भी संख्यावाले जीव मोक्ष में जा सकते हैं । फिर अवश्य अंतर पड़ता है । १३३४) चार समय तक मोक्ष में जाय तो कितने ? उत्तर : ७३ से ८४ तक की संख्या में से कोई भी संख्यावाले जा सकते हैं। फिर अवश्य अंतर पड़ता है। - - - - - - श्री नवतत्त्व प्रकरण - - - - - - - - - - - - - - - - - -
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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