SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 383
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उत्तर : स्त्रीवेद से पुरुष-स्त्री या नपुंसक हुए जीव प्रत्येक भिन्न दस-दस एकसाथ मोक्ष में जाते हैं। १२७३) नपुंसक में से स्त्री-पुरुष-नपुंसक हुए कितने जीव मोक्ष में जाते हैं ? उत्तर : प्रत्येक भिन्न भिन्न दस-दस जीव एक साथ मोक्ष में जाते हैं । १२७४) जिनसिद्ध से अजिनसिद्ध कितने अधिक हैं ? उत्तर : जिनसिद्ध अल्प है तथा अजिन सिद्ध उनसे असंख्य गुणा अधिक है। १२७५) अतीर्थसिद्ध तथा तीर्थसिद्ध में अल्पबहुत्व कितना है ? उत्तर : अतीर्थसिद्ध अल्प है तथा तीर्थसिद्ध उनसे असंख्यगुणा अधिक है। १२७६) गृहस्थलिंग, अन्यलिंग तथा स्वलिंग सिद्ध जीवों में अल्प-बहुत्व कितना उत्तर : गृहस्थलिंग सिद्ध अल्प है, उनसे अन्यलिंग सिद्ध असंख्यात गुणा अधिक है, उनसे स्वलिंग सिद्ध असंख्यातगुणा अधिक है । १२७७) स्वयंबुद्धसिद्ध, प्रत्येकबुद्धसिद्ध तथा बुद्धबोधित सिद्ध में अल्पबहुत्व कितना ? उत्तर : स्वयंबुद्धसिद्ध अल्प है, उनसे प्रत्येकबुद्ध सिद्ध संख्यात गुणा तथा उनसे बुद्धबोधित सिद्ध संख्यातगुणा अधिक है। १२७८) अनेकसिद्ध तथा एकसिद्ध में अल्पबहुत्व कितना है ? उत्तर : अनेकसिद्ध अल्प है, उससे एकसिद्ध असंख्यातगुणा अधिक है । पंद्रह प्रकार के सिद्धों का विवेचन १२७९) सिद्धजीवों के कितने भेद होते हैं ? उत्तर : पन्द्रह - (१) जिन सिद्ध, (२) अजिन सिद्ध, (३) तीर्थ सिद्ध, (४) अतीर्थ सिद्ध, (५) गृहस्थलिंग सिद्ध, (६) अन्यलिंग सिद्ध, (७) स्वलिंग सिद्ध, (८) स्त्रीलिंग सिद्ध, (९) पुरुषलिंग सिद्ध, (१०) नपुंसकलिंग सिद्ध, (११) प्रत्येकबुद्ध सिद्ध, (१२) स्वयंबुद्ध सिद्ध, (१३) बुद्धबोधित सिद्ध, (१४) एकसिद्ध, (१५) अनेकसिद्ध । १२८०) जिन सिद्ध किसे कहते हैं ? ३८० श्री नवतत्त्व प्रकरण
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy