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________________ भेद के सिवाय तीनों ही भेद संभवित है । ९७४) आर्त्तध्यान में कौन से आयुष्य का बंध होता है ? उत्तर : तिर्यंचायुष्य का । ९७५) रौद्र ध्यान किसे कहते हैं ? उत्तर : क्रोध की परिणति या क्रूरता के भाव जिसमें रहे हो, दूसरों को मारने, पीटने ठगने एवं दुःखी करने की भावना जिसमें हो, वह रौद्र ध्यान है । ९७६ ) रौद्र ध्यान के कितने भेद हैं ? उत्तर : चार - (१) हिंसानुबन्धी- प्राणियों की हिंसा का विचार करना । (२) मृषानुबंधी - झूठ बोलने का चिन्तन करना । (३) स्तेयानुबंधी - चोरी करने का चिन्तन करना । (४) संरक्षणानुबंधी - धनादि परिग्रह के रक्षण के लिये चिंता करना । ९७७) रौद्र ध्यान के कितने लक्षण हैं ? उत्तर : चार । (१) ओसन्न दोष - हिंसा आदि दोषों में से किसी एक दोष अधिक प्रवृत्ति करना । (२) बाहुल्य दोष - हिंसा आदि अनेक दोषों में प्रवृत्ति करना । (३) अज्ञानदोष - अज्ञान से अधर्म स्वरुप हिंसा में धर्मबुद्धि से प्रवृत्ति करना । (४) आमरणान्त दोष – मरणपर्यंत हिंसादि कूर कार्यों में प्रवृत्ति करना । - ९७८ ) रौद्र ध्यान किस गुणस्थानक में होता है ? उत्तर : प्रथम से पंचम गुणस्थानक पर्यन्त । ९७९ ) रौद्र ध्यान में यदि आयुबंध हो तो कौनसा आयुष्य बंध होता है ? उत्तर : रौद्र परिणाम होने से नरकायुष्य का बंध होता है ९८०) धर्मध्यान किसे कहते हैं ? उत्तर : धर्म-जिनेश्वर परमात्मा की आज्ञा तथा पदार्थ के स्वरुप के पर्यालोचन में मन को एकाग्र करना धर्मध्यान है । ९८१) धर्मध्यान के कितने भेद हैं ? उत्तर : चार - (१) आज्ञाविचय - वीतराग की आज्ञा को सत्य मानकर उस श्री नवतत्त्व प्रकरण ३२९
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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