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________________ उत्तर : छह - (१) श्रेणीतप, (२) प्रतरतप, (३) घनतप, (४) वर्गतप, (५) वर्गावर्ग तप, (६) प्रकीर्णक तप । ८७७) श्रेणी किसे कहते हैं ? उत्तर : पंक्ति बद्ध वस्तु को श्रेणी कहते हैं । जैसे १-२-३-४ की संख्या में वस्तु । ८७८) प्रतर किसे कहते हैं ? उत्तर : श्रेणी को श्रेणी से गुणा करने पर प्रतर होता है । जैसे 2 x 2 = 4 ८७९) घन किसे कहते हैं ? उत्तर : प्रतर को श्रेणी से गुणा करने पर घन होता है । अथवा समान जाति को तीन बार गुणा करने पर जो अंक आता है (2x2x2 = 8) उसे घन कहते हैं। ८८०) वर्ग किसे कहते हैं ? उत्तर : घन को घन से गुणा करने पर वर्ग होता है । (8 x 8 = 64) ८८१) वर्गावर्ग किसे कहते हैं ? । उत्तर : वर्ग को वर्ग से गुणा करने पर वर्गावर्ग होता है । (64 x 64 = 4096) ८८२) प्रकीर्णक किसे कहते हैं ? उत्तर : श्रेणी एवं अनुक्रम के बिना ही फुटकर रीति से किया जाने वाला तप प्रकीर्णक हैं। ८८३) श्रेणीतप के कितने भेद हैं ? - उत्तर : चौदह - (१) चतुर्थ भक्त (उपवास), (२) षष्ठ भक्त (बेला), (३) अष्टम भक्त (तेला), (४) दशमभक्त (चोला), (५) द्वादश भक्त (पंचोला), (६) चतुर्दशभक्त (छोला), (७) षोडशभक्त (सतोला), (८) अर्द्धमासिक, (९) मासिक, (१०) द्विमासिक, (११) त्रैमासिक, (१२) चातुर्मासिक, (१३) पंचमासिक, (१४) षण्मासिक ८८४) प्रतर तप के कितने भेद हैं ? उत्तर : सोलह - (१) व्रत (उपवास), (२) बेला, (३) तेला, (४) चौला, (५) बेला, (६) तेला, (७) चौला, (८) व्रत, (९) तेला, (१०) चौला, -------------------- ३१२ श्री नवतत्त्व प्रकरण - - - -
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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