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________________ उत्तर : जीव को आज्ञा करके उससे जीव (व्यक्ति)-अजीव (वस्तु) मंगवाना आज्ञापनिकी क्रिया है। ७१२ ) वैदारणिकी क्रिया किसे कहते है ? उत्तर : जीव तथा अजीव का विदारण (चीरना-फाडना) करने से या वितारण (वंचना-ठगाई) करने से लगने वाली क्रिया वैदारणिकी है। ७१३) अनाभोगिकी क्रिया किसे कहते है ? उत्तर : अनुपयोग (अजयणा-अविवेक) पूर्वक चलने-फिरने से तथा चीजों को रखने-उठाने से लगने वाली क्रिया अनाभोगिकी है। ७१४) अनाभोगिकी क्रिया के दो भेद लिखो । उत्तर : अनाभोगिकी क्रिया के दो भेद हैं - (१) अनायुक्तदान अनाभोगिकी क्रिया - बिना उपयोग अप्रमार्जित वस्तु का लेन-देन करना । (२) अनायुक्त प्रमार्जना अनाभोगिकी क्रिया : बिना उपयोग अप्रमार्जित वस्तु को रखना या उठाना । ७१५) अनवकांक्षप्रत्ययिकी क्रिया किसे कहते है ? उत्तर : स्व-पर के हिताहित का विचार नहीं करते हुए तथा इस लोक व परलोक की परवाह न करते हुए जो क्रिया की जाती है, उसे अनवकांक्षप्रत्ययिकी क्रिया कहते है। ७१६) प्रायोगिकी क्रिया किसे कहते है ? उत्तर : मन-वचन-काया के अशुभ-सावध व्यापार से लगने वाली क्रिया को प्रायोगिकी क्रिया कहते है। ७१७) सामुदानिकी क्रिया किसे कहते है ? उत्तर : जिस पाप कर्म के द्वारा समुदाय रूप में आठों कर्मों का बंध हो तथा सामूहिक रूप से अनेक जीवों के एक साथ कर्मबंध हो, उसे सामुदानिकी क्रिया कहते है। ७१८) प्रेमिकी क्रिया किसे कहते है ? उत्तर : स्वयं प्रेम या राग करना अथवा दूसरे को प्रेम पैदा हो ऐसा बोलना, ------ -------------- श्री नवतत्त्व प्रकरण २८१
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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