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________________ उत्तर : १० कोडाकोडी पल्योपम का एक सागरोपम होता है। ४०६) कोडाकोडी किसे कहते है ? . उत्तर : करोड को करोड से गुणा करने पर जो संख्या आती है, उसे कोडा कोडी कहते है। ४०७) कितने सागरोपम की एक उत्सर्पिणी अथवा अवसर्पिणी होती है ? उत्तर : दस कोडाकोडी सागरोपम की एक उत्सर्पिणी अथवा अवसर्पिणी होती ४०८) कालचक्र किसे कहते है ? उत्तर : एक उत्सर्पिणी तथा एक अवसर्पिणी काल का एक कालचक्र होता ४०९) एक कालचक्र कितने सागरोपम का होता है ? उत्तर : एक कालचक्र २० कोडाकोडी सागरोपम का होता है। ४१०) एक पुद्गल परावर्तन काल किसे कहते है ? उत्तर : अनंत कालचक्र का एक पुद्गल परावर्तनकाल होता है । ४११) पुद्गल परावर्तन काल के कितने भेद हैं ? उत्तर : पुद्गल परावर्तन काल के ८ भेद हैं - १. द्रव्य पुद्गल परावर्त, २. क्षेत्र पुद्गल परावर्त, ३. काल पुद्गल परावर्त, ४. भाव पुद्गल परावर्त । इन चारों के सूक्ष्म तथा बादर ये दो-दो भेद होने से कुल ८ भेद होते हैं। ४१२) बादर द्रव्य पुद्गल परावर्त काल किसे कहते है ? उत्तर : औदारिक-वैक्रिय-तैजस-भाषा-श्वासोच्छ्वास-मन तथा कार्मण, इन सात पुद्गल वर्गणाओं के माध्यम से जीव को जगत के सभी पुद्गलों का उपभोग कर छोडने में जितना समय व्यतीत होता है, उसे बादर द्रव्य पुद्गल परावर्त कहते है। ४१३) सूक्ष्म द्रव्य पुद्गल परावर्त किसे कहते है ? उत्तर : उपरोक्त सात वर्गणा के सभी पुद्गलों को औदारिक आदि किसी भी एक वर्गणा के रूप में उपभोग कर छोड़ने में जितना समय लगता है, - - श्री नवतत्त्व प्रकरण
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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