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________________ कहलाते हैं। १६९) संज्ञी-असंज्ञी जीव कहाँ-कहाँ हैं ? उत्तर : मात्र पंचेन्द्रिय में ही संज्ञी और असंज्ञी, दोनों होते हैं । शेष सभी जीव __असंज्ञी (मन रहित) ही हैं । १७०) सम्मच्छिम पंचेन्द्रिय किसे कहते है ? उत्तर : माता-पिता के संयोग बिना जन्म योग्य जलादि सामग्री से एकाएक (स्वतः) उत्पन्न होने वाले मेंढक, मछली आदि तिर्चञ्च पंचेन्द्रिय तथा मनुष्य के मल, मूत्रादि १४ अशुचि स्थानों में उत्पन्न होने वाले मनुष्य आदि पंचेन्द्रिय जीव सम्मूछिम पंचेन्द्रिय कहलाते हैं । ये जीव नियमतः बादर ही होते हैं । इन समस्त सम्मूछिम पंचेन्द्रिय जीवों को मन नहीं होने से असंज्ञी पंचेन्द्रिय भी कहा जाता है। १७१) १४ अशुचि स्थान कौन-कौन से हैं ? उत्तर : १. मल, २. मूत्र, ३. कफ, ४. नाक का मल, ५. वमन, ६. पित्त, ७. मवाद, ८. रुधिर, ९. वीर्य, १०. त्याग किये गये वीर्य के पुद्गल, ११. मूर्दा शरीर, १२. परस्पर संयोग में, १३. मैल, १४. पसीना एवं समस्त गंदी नालियाँ । १७२ ) बादर जीव किसे कहते है ? उत्तर : जो बादर नाम कर्म के उदय से बादर शरीर में रहते है तथा जो काटने से कट जाय, छेदने से छिद जाय, भेदने से भिद जाय, अग्नि से जल जाय, पानी से बह जाय तथा छद्मस्थ को इन्द्रियगोचर हो, अथवा यंत्र द्वारा दिखाई दे, वे जीव बादर कहलाते है। . १७३) बादर के कितने भेद हैं ? उत्तर : बादर के दो भेद है - साधारण तथा प्रत्येक । १७४) साधारण किसे कहते है ? उत्तर : निगोद को साधारण कहते है । जहाँ एक शरीर में अनंत जीव निवास करते है, उसे भी साधारण कहते है। जैसे आलू, प्याज आदि जमीनकंद । १७५) प्रत्येक किसे कहते है ? १८८ श्री नवतत्व प्रकरण
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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