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________________ ९७) श्रोत्रेन्द्रिय किसे कहते है ? उत्तर : कान, जिसके माध्यम से शब्दत्व संबंधी ज्ञान होता है, उसे श्रोतेन्द्रिय कहते हैं। ९८) स्पर्शनेन्द्रिय के कितने विषय है ? उत्तर : स्पर्शनेन्द्रिय के आठ विषय हैं - १. मृदु, २. कर्कश, ३. गुरु, ४. लघु, ५. स्निग्ध, ६. रूक्ष, ७. शीत, ८. उष्ण । ९९) रसनेन्द्रिय के कितने विषय हैं ? उत्तर : रसनेन्द्रिय के ५ विषय हैं - १. मधुर, २. अम्ल, ३. कषाय, ४. कटु, ५. तिक्त । १००) घ्राणेन्द्रिय के कितने विषय हैं ? उत्तर : घ्राणेन्द्रिय के दो विषय हैं - १. सुरभि गंध, २. दुरभि गंध । १०१) चक्षुरिन्द्रिय के कितने विषय हैं ? उत्तर : चक्षुरिन्द्रिय के ५ विषय हैं - १. कृष्ण, २. नील, ३. रक्त, ४. पीत, ५. श्वेत । १०२) श्रोत्रेन्द्रिय के कितने विषय हैं ? उत्तर : श्रोत्रेन्द्रिय के तीन विषय है – १. जीव शब्द, २. अजीव शब्द, ३. मिश्र शब्द। १०३) एकेन्द्रिय में कितने विषय पाये जाते हैं ? उत्तर : एकेन्द्रिय में एक स्पर्शनेन्द्रिय के आठ विषय पाये जाते हैं । १०४) बेइन्द्रिय में कितने विषय पाये जाते हैं ? उत्तर : बेइन्द्रिय में स्पर्शनेन्द्रिय के ८ और रसनेन्द्रिय के ५ इस तरह कुल १३ विषय पाते हैं। १०५) तेइन्द्रिय में कितने विषय पाये जाते हैं ? उत्तर : तेइन्द्रिय में पन्द्रह विषय पाये जाते हैं - स्पर्शनेन्द्रिय के ८, रसनेन्द्रिय के ५ और घ्राणेन्द्रिय के २।। १०६) चउरिन्द्रिय में कितने विषय पाये जाते हैं ? उत्तर : उपरोक्त १५ एवं चक्षुइन्द्रिय के ५, ये कुल बीस विषय चउरिन्द्रिय में १७८ श्री नवतत्त्व प्रकरण
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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