SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 53
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ देववंदन नाष्य अर्थसहित. ५३ स्तववा योग्य ने एटला माटे नमुत्रणं अरिहंताणं, नगवंताणं ए बे पदनी पहेली (थोअव संपया के) स्तोतव्य संपदा जागवी. पठी ते स्तववा योग्यतुं सामान्य हेतु कहेवा माटे आगराणंथी मांमीने सयंसंबुझाणं लगें त्रण पदनी बीजी (नह क)नघ एटले सामान्यहेतु संपदा जागवी. पठी ए बोजी संपदाना अर्थनेवि दीपावे तेमाटे सामान्यतया (इयरहेज के ) इतरहेत ते वि शेष हेतरूपनोजी संपदा जाणवी. पो आद्य संपदाना अर्थने विशेष दीपावे एटले सामान्य स्तधनानो नपयोग तेनुं कहे, ते दोथी (नवनग के०) नपयोग संपदा जाणवी. पठाए नपयोग संपदानाज अर्थ ने हेतु सद्भावें करी दीपावे ते पां चमी (तक के)तत् हेतु संपदा जाणवी,अथवा नपयोग हेतु संपदा जाणवी, पी एज उपयोग हेतु संपदाना अर्थ गुण दीपाववा निमित्तें अर्थ वि शेषे जणावे एटले कारण सहित स्तववा योग्यर्नु स्वरूप कहेवू ते ही ( सविसेसुक्नग के०) सवि शेष नपयोग हेतु संपदा जाणवी, पठी यथार्थ पो
SR No.022326
Book TitleChaityavandanadi Bhashya Trayam Balavbodh Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendrasuri
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages332
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy