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________________ देववंदन जाय अर्थसहित. Ա सुडतालीश थाय, तेने गएणी देखामवानुं द्वार कदीश ॥ २ ॥ नवमं देववंदनना अधिकारें नवकार प्रमुख नव सूत्रानां ( इगसीइसयं के० ) एकसोने ए क्यासी (तु के० ) वली ( पया ० ) पदो थाय बे, ते देखामवानुं द्वार कहीश, दशमुं एज नवसू त्रांनां (सगनन के० ) सप्तनवति एटले सत्ताणुं ( संपयान के० ) संपदान थाय बे, ते देखामवानुं द्वार कदीश, अगीयारमुं नमुकुलादिक ( पदमा के) पांच दंमकनुं द्वार कदीश, वारमुं चैत्यवं दमने विषे पांच दमकमा ( बाराहिगार के‍ ) बार अधिकार प्रवेबे, तेनुं द्वार कहीश, तेरमुं ( चनवंद शिऊ के० ) चार वांदवा योग्य तेनुं द्वार कदीश, चौदमुं नृपश्व टालवा निमित्तें एक (स रणिऊ के ) स्मरण करवा योग्य जे सम्यग्दृष्टि देवो तेमनुं द्वार कोश, पन्नरमुं नामस्थापनादिक ( चन्ह जिला के० ) चार प्रकारना जिननुं द्वार कदीश ॥ ३ ॥ सोलमुं ( चनरोथुइ के० ) चार स्तुति कदे
SR No.022326
Book TitleChaityavandanadi Bhashya Trayam Balavbodh Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendrasuri
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages332
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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