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________________ पञ्चकाण नाष्य अर्थसहित. श्न धम्मिलनो रास उपाइ गयो , तेमां एमनी संपू र्ण कथा घणा सानोने वांचवामां आवी गयेली बे, माटे आंही लखी नथी, जे सऊनोने वांच वानी अनिलाषा होय तेमणे रास वांची लेवो. अने परनवे दामनकादिकने फल प्रयुं ते दामनकनो दृष्टांत संप मात्रे लखीये येः-रा जपुर नगरे एक कुलगर रहेतो हतो, तेनो जिन दास श्रावक मित्र हतो, तेनी संगतथी कोश्क दिवसे साधु पाले गयो, त्यां मत्स्यना मांसनो नियम लीधो, अनुक्रमे निद थयुं, तेवारे घणा लोक मत्स्याहारी थके शालिकादि पुरुषे बला कारे इह समीपे आएयो, तिहां ते जालमांना खेला मत्स्यने जोश्ने मूकी आपे. एम त्रण दि वस सुधी बलात्कार कराव्यो, तेवारे एक मत्स्य नी पांख त्रूटी देखी बलात्कारे तेथी निवो, पगी असण ले मरण पामी राजगृह नगरे शेठनो पुत्र अयो, दामनक नाम दीg, ते आठ वर्षनो थयो तेवारे तेनुं कुल मरकोना रोगथो मरण पाम्यु, नबिन प्रयुं, तेवारे ते दामनक को
SR No.022326
Book TitleChaityavandanadi Bhashya Trayam Balavbodh Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendrasuri
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages332
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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