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________________ १५२ गुरुवंदन नाष्य अर्थसहित. ये. मावा खंना अने जमणा खंनानी नीचे तु पर बे पासानी पडिलेहणा चार करीये त्यां को घ, मान, माया अने लोन ए चार कषायने गं एम चीतवीये. माबे जमणे पगे अनुक्रमे त्रण पमिलेहणा करीये, तिहां अनुक्रमे पृथ्वोकाय, अपकाय, तेनकाय, वायुकाय, वनस्पतिकाय अने त्रसकाय, एक काय जीवोनी रक्षा करूं, एम चीतवीये ॥ तथा वली पहिलेहणना अधिकार माटे वस्त्र, पात्र, पाट, बाजोठ, पायावाला पाटला, पाटली, स्थापनाना मबा, ढांकणां, अनेनाजन प्रमुखनी पच्चीश पमिलेहण तथा कणदोरा, मामा अने कांमीनी दश पमिलेहण तथा थापनानी तेर, पा यानी तेर इत्यादिक सर्व परंपरागते जागवी॥ आवस्सएसु जह जह, कुण पयत्तं अहीण मरित्तं ॥ तिविह करणोवनत्तो, तह तह से निऊरा होई ॥२॥ अर्थः-ए (आवस्सएसु के० ) आवश्यकने
SR No.022326
Book TitleChaityavandanadi Bhashya Trayam Balavbodh Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendrasuri
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages332
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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