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________________ गुरुवंदन नाष्य अर्थसहित. १५ हवे शरीरनी पञ्चीश पहिलेदणानुं बारमुं हर कहे . पयाहिणेण तिमतिअवामेअर बाहु सीस मुह हियए॥ अंसुमाहो पिठे, चन उप्पय देह पणवीसा ॥१॥ अर्थः-(पयादिरोण के०) प्रदक्षिणायें एटले प्रदक्षिणावर्ते करी एक (वाम के० ) माबे (बाहु के०) बाहुयें अने वीजुं (इअर के) इतर ते जमणे बाहुयें तथा त्रीजु (सीस के०) मस्तके, चोथु (मुह के०) मुखे अने पांचU (हियए के.) हीयाने विषे ए पांच गमे (सितित्र के) त्रण त्रण वार पमिलेहणा करवी एटले मुहपत्तिने वधूटकनी परे प्रहण करने वामनु जादिक पांच स्थानके फेरववी तेवारे पन्नर पहिलेहण थाय, अने (अंसुमाहो के०) अं सुम एटले बे खंनानी उपर अने ते बे खं जानी अहो एटले नीचे काखमां (पिके) पिठ एटले वांसानी बाजुयें (चन के०) चार पहिलेहण करवी एटले बे खंना उपर अने वे
SR No.022326
Book TitleChaityavandanadi Bhashya Trayam Balavbodh Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendrasuri
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages332
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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