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________________ १३४ गुरुवंदन नाष्य अर्थसहित. आचार्य ते सूत्र अने अर्थ उन्नयना वेत्ता, प्र शस्त समस्त लक्षणे लक्षित, प्रतिरूपादि गुण युक्त शरीर होय, जाति कुल गांनीर्य धैर्यादि अ नेक गुणमणियुक्त, आठ प्रकारनी गणिसंपदायें करी युक्त, पंचाचार पालक, पलाववाने समर्थ. उत्रीश बत्रीशी गुणें करी बिराजमान, आर्य पु रुषे सेववा योग्य, गबमूलस्तंननूत गडचिंतार हित अर्थनाषी, एटले जेमां गडचिंता न नपजे एवा अर्थ नाषे एवा गुणयुक्त ते आचार्य जाणवा. ___ तथा नपाध्याय ते जेनी पासें अगीयार अंग, बार नपांग, चरणसित्तिरी, करणसित्तिरी जणीयें, आचार्यने युवराज समान, ज्ञान, दर्शन अने चा रित्ररूप रत्नत्रयी युक्त, सूत्र अर्थना जाण, आ चार्यने हितचिंतक, ते नपाध्याय. तथा प्रवर्तक ते यथोचित प्रशस्त योग जे तप संयम तेने विष साधुसमुदायने प्रवावे, गबने योगक्षेम करवानी योग्यतानी संजालना करनार जाणवा. तथा थिविर ते ज्ञानादिकगुणोने विषे सी
SR No.022326
Book TitleChaityavandanadi Bhashya Trayam Balavbodh Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendrasuri
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages332
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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