SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पृष्ठ पंक्ति. २८-१२ २९-९ २९-२४ ३०-१४ ३१-१६ ३२-१२ . . . . विषयनाम पुण्यसंग्रहकी आवश्यकता विषयजन्य दुःख तृष्णाकी निंदा , विषयोंमें न फसनेका उपदेश गृहाश्रमकी निंदा आशाका वर्णन व पश्चात्ताप .... कर्माधीन सुखकी सोदाहरण निंदा धनकी निंदा अतीन्द्रिय धर्म व सुखकी पहिचान मुक्तिकी सुलभता विषयोंसे विरक्त होनेका उपदेश विषयाशा छुडानेका उपदेश विषयोंकी क्षणभंगुरता विषयासक्तिके दोष शरीरस्वरूप विषयोंसे केवल दुःखका होना विषयों की प्राप्तिमें भी दुःख मोहजन्य दुःख शरीरकी जेलखानेसे तुलना परिवारकी असारता लक्ष्मीकी अस्थिरता शरीरकी क्षणिकता इंद्रिये की निंदा सुख कैसे हो? सुख किसे मिलता है ! ३५-१३ ३६-१७ ३७-१२ ३७-७ ४१-१ ४१-१४ ४२-१२ ४३-८ ४४-१ १५-१ .... . . . . .... ४८-५ ४९-१७ ५०-१७ ५१-१६ ५२-६ ५२-२४
SR No.022323
Book TitleAatmanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBansidhar Shastri
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year1916
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy