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________________ ॥५॥दसलखअसोय सहसा, मुहुत्त संखाय होश वास सए ॥ जश् सामाश्यसहिजे, एगोवियता श्मो लाहो ॥६॥ बाणवय कोमो, लरका गुणसहि सहस पणवीसं ॥ नवसय पणवीस जूश्रा, सतिहा अमनाग पलिअस्स ॥ ७॥ वाससए घमियाणं, लखिगवीसं सहस्स तह सही ॥एगाविध धम्म जुया, जश्ता लाहो श्मोहो॥७॥ बायाल कोमी गुणतीस-लक बासही सहस्ससयनवगं ॥ तेसही किंचूणा, सुरा बंधोई गघमिए ॥ ए॥ सही अहोरत्तेणं, घमीया जस्स जंति पुरिसस्स ॥ निअमेणवि रहीआर्ज, सो दियह निष्फलोतस्स ॥१०॥ चत्तारी कोमिसया, कोमी सतलक अमयाला ॥ चालीसं च सहस्सा, वाससय हुंती ऊसासा ॥ ११ ॥ श्क्को वित्र ऊसासो, नय रहि होई पूण्यपावेहिं । जश् पुणेणं सहिर्ज, एगोविथ ताश्मो लाहो ॥१॥ लक जुग सहस पण चत्तं, चउसया अठ चेव पलियाई ॥ किंचूणा चलनागा, सुरा बंधो ईगु
SR No.022320
Book TitlePrakaran Ratnakar Mool
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMehta Nagardas Pragjibhai
PublisherMehta Nagardas Pragjibhai
Publication Year1936
Total Pages118
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size7 MB
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