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________________ पुढवीए, कारस इंदिया एए ॥ २४ ॥ तत्तो तविठ तवणो, तावप्लो पंचमो य निहो ॥ बहो पुण पजलि, उप्पऊलियसत्तमः ॥ २२५ ॥ संजलिअहम, संपऊलि य नवम नणि ॥ तश्याए पुढवीए, नवदिय नारया ए ए ॥२६॥ आरे तारे मारे, वच्चे तमए यहोश नायवे ॥खाम खमे खंमखमे, इंदय नरया य चमबीए ॥२२॥ खाए तमए य तहा, ऊसे ऊसंधए तहा तिमिसे ॥ श्ह पंचम पुढवीए, पंच निरइंदया हुँति ॥ ॥२७॥ हिमवद्दल लबके, तिणिउनिर इंदयाय हो ए ॥ एगो य सत्तमाए, अपश्हाणो उ ना. मेणं ॥ २२ए ॥ पुवेण होश्कालो, अवरेण पश्हि महाकालो ॥ रोरो दाहिणपासे, उत्तर पासे महारो रो ॥ ३० ॥ तेहिंतो दिसि विदिास, विणिग्गया अठ निरय श्रावलिया ॥ पढमे पयरे दिसि गुण, वन्ना विदिसासु अमयाला ॥२३१ ॥ बीयाश्सु पयरेसु, ग ग हीणाउ हुँति पंती ॥ जा सत्तमि महि पयरे, दिसि शकिको विदिति
SR No.022320
Book TitlePrakaran Ratnakar Mool
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMehta Nagardas Pragjibhai
PublisherMehta Nagardas Pragjibhai
Publication Year1936
Total Pages118
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size7 MB
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