SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जल जमण पवेस तमह बुह पुहर्ड ॥ गिरिसिर परुणाउ मुया, सुहनावा, हुंति वंतरिया ॥१५३॥ तावस जा जोइसिया, चरग परिवाय बंजलोगो जा ॥ जासहस्सारो पंचिं, दितिरिख जा अच्चुठे सदा ॥ १५४ ॥ जइ लिंगमिछदिहि, गेविजा जाव जंति नकोसं ॥ पयमवि असदहंतो, सुत्त मिलदिनी ॥ १५५ ॥ सुत्तं गणहररइयं, तहेव पत्तेयबुद्ध रश्वं च ॥सुयकेवलिणा रइयं, अनिल दस पुविणा रश्शं ॥ १५६ ॥ बनम संजयाणं, उचवा उक्कोस अ सबछे ॥ तेसिं सट्ठाणंपिथ, जहण हो सोहम्मे ॥१५७ ॥ दंतंमि चउद. पुविस्स, तावसाईण वंतरेसु तहा॥ एसिं उववाय विहि, नियकिरियठियाण सबोवि ॥ १५७ ॥ वारिसहनारायं, पढमं बीअं च रिसहनाराय ॥नारायमझनाराय, कीलिया तह य वठं॥१५॥ एए स्संघयणा, रिसहोपट्टोय कीलिया वजां। उनमक्कमबंधो, नारा हो विन्ने ॥ १६० ॥ ब गप्ततिरीनराणं, संमुखिम पणिदि विगतदेवळं
SR No.022320
Book TitlePrakaran Ratnakar Mool
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMehta Nagardas Pragjibhai
PublisherMehta Nagardas Pragjibhai
Publication Year1936
Total Pages118
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy