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________________ महाकंदी, कोहंमें चेव पयए अ॥४०॥ इयपढम जोयणसए, रयणाए अट्ठ वंतरा अवरे॥ तेसु श्ह सोलसिंदा, स्थग अहो दाहिणुत्तरर्च ॥ १ ॥ संनिहिए सामाणे, छाइ बिहाए इसिय इसिवाले ॥ ईसर महेसरे विय, हव सुवबे विसावे य ॥ ४२ ॥ हासे हास र विय, सेएय नवे तहा महासेए ॥ पयगे पयगवईविय, सोलसइंदाण नामाइं॥ ४३ ॥ सामाणियाण चउरो, सहस्स सो. लसय थायरकाणं ॥ पत्तेयं सवेसि, वंतरवर ससरवीणं च ॥ ४४ ॥ इंद सम तायतीसा, परिसतिया रकलोगपाला य ॥ अणिय पक्षणा अनिगा, किब्बिसं दस नवण बेमाणी ॥ ४५ ॥ गंधव नह हय गय, रह नम अणियाणि सब इं. दाणं ॥ वेमाणियाण घसहा, महिसा य अहो. निवासीणं ॥ ४६॥ तित्तीस तायतीसा, परिसतिया लोगपाल चत्तारि ॥ अणिआणि सत्त सत्तय, अणियादिव सबइंदाणं ॥४७॥ नवरं वंतर जोइस, इंदाण न हुत्ति लोगपालार्च ॥ तात्तिंस
SR No.022320
Book TitlePrakaran Ratnakar Mool
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMehta Nagardas Pragjibhai
PublisherMehta Nagardas Pragjibhai
Publication Year1936
Total Pages118
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size7 MB
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