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________________ ३५ it काथ पुष्करद्वीपार्थ काधिकार पंचमः चुरकरदलब हिजगर, व संवियो माणुसुन्तरो सेलो । वेलंधर गिरिमाणो, सीह पिसाई पिसढवणो ॥ २४२ ॥ जह खित्तणगाई, संगणो धाइए तदेव इहं । डुगुणो का जहसालो, मेरुसुयारा तहा चैव ॥ २४३॥ इह वाहिरगयदंता, चउरो दीदत्ति वीससय सहसा । तेालीस सहस्सा, उवीसदिया सया डुएि ॥ २४४ ॥ किंनंतर गयदंता, सोलस लरका य सहस बद्दीला । सोल हिसयमेगं दीहत्ते हुंति चउरो वि ॥ २४५ ॥ सेसा पमाण जह, जंबूदीवाउ धाइए जगिया । डुगुणा समा य ते तह, भाइअसंमाज इह ऐखा श्ह ॥ २४६ ॥ अमसी लरका चनदस, सहसा तह णव सया य इगवोसा । निंतर घुवरासो. पुवृत्तविहीइ गवि ॥ २४७ ॥ इग कोमि तेर लरका, सहसा चउचत्त सग सय तियाला । पुकरवरदीवडे, धुवरासी एस मज्जम्मि ॥ २४८ ॥ एगा को किमती - सलक चउत्तरी सदस्सा "
SR No.022320
Book TitlePrakaran Ratnakar Mool
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMehta Nagardas Pragjibhai
PublisherMehta Nagardas Pragjibhai
Publication Year1936
Total Pages118
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size7 MB
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