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________________ व्याख्यान ३६ : . ': ३३९ : इस प्रकार कह कर वह देव स्वर्ग को लौट गया। सुलसाने गर्भस्थिति के पूर्ण होने पर एक साथ बत्तीस पुत्रों को प्रसव किया। नागसारथिने उन पुत्रों का जन्मोत्सव किया। अनुक्रम से युवावस्था को प्राप्त होने पर उसने उनका बत्तीस कन्याओं के साथ विवाह किया। वे सब श्रेणिकराजा के अंगरक्षक सेवक बने । ___ एक बार कोई तापसी चेटक राजा की सुज्येष्ठा नामक पुत्री का चित्र लेकर श्रेणिकराजा की सभा में गई । राजा उस चित्र से आकर्षित हो उसके साथ विवाह करने को उत्सुक हुआ अतः उसने अभयकुमार को इस कार्य में सहायता करने की आज्ञा दी। अभयकुमारने गांधी का वेष बना चेड़ा राजा की विशाल नगरी में जाकर राजा के अन्तःपुर के समीप दुकान लगाई। फिर जब सुज्येष्ठा की दासी उसकी दुकान पर कोई वस्तु खरीद करने को आती तो अभयकुमार श्रेणिकराजा के चित्र की पूजा करते हुए दिखाई देता । एक बार दासीने उस से पूछा कि-" यह किसीका चित्र है ?" इस पर उसने उत्तर दिया कि-श्रेणिकराजा का । यह सुन कर ,दासीने अभयकुमार से वह चित्र मांग कर सुज्येष्ठा को जाकर बतलाया । उसे देख कर सुज्येष्ठा अत्यन्त कामातुर हो कर बोली कि-"हे दासी! ऐसा कोई उपाय कर कि जिससे यह राजा मेरा पति बन सके।"
SR No.022318
Book TitleUpdesh Prasad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaylakshmisuri, Sumitrasinh Lodha
PublisherVijaynitisuri Jain Library
Publication Year1947
Total Pages606
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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