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________________ : २१२ : श्री उपदेशप्रासाद भाषान्तर : हुई यह बामन स्त्री पग पग पर अपने खोये हुए युवावस्थारूपी माणिक्य की खोज कर रही है । यह सुन कर राजाने धनपाल से कहा कि हे - वक्रमति धनपाल ! यह वृद्धा स्त्री इस बालिका को क्या पूछती है ? इस पर राजा के क्रोध शान्त करने के लिये धनपालने उत्तर दिया कि - हे स्वामी ! इस बालिका को यह वृद्धा उसके प्रश्नों का उत्तर दे रही है | किं नन्दी किं मुरारिः किमु रतिरमणः किं नलः किं कुबेरः ? किं वा विद्याधरोऽसौ किमुत सुरपतिः किं विधुः किं विधाता ? नायं नायं न चायं न खलु न हि न वा नापि नासौ न वैष, क्रीडां कर्तुं प्रवृत्तः स्वयमिह हि हले भूपतिर्भोजदेवः ॥ १ ॥ भावार्थ:-- वृद्धा को बालिका पूछती है कि हे माता ! क्या यह महादेव है ? क्या विष्णु है ? क्या कामदेव है ? क्या राजा नल है ? क्या कुबेर है ? क्या विद्याधर है ? क्या इन्द्र है ? क्या चन्द्र है ? या क्या ब्रह्मा है ? वृद्धा उत्तर
SR No.022318
Book TitleUpdesh Prasad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaylakshmisuri, Sumitrasinh Lodha
PublisherVijaynitisuri Jain Library
Publication Year1947
Total Pages606
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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