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________________ २२. सम्यक्त्व परीषह-सम्यक्त्व से चलित करने के लिए कोई कितना ही उपसर्ग करे, फिर भी सम्यक्त्व से चलित नहीं होना। (4) दस यति धर्म १. क्षमा-क्रोध के प्रसंग में भी क्रोध नहीं करना; चित्त को शान्त और स्थिर रखना। इस क्षमा के ५ भेद हैं (क) उपकार क्षमा-किसी ने अपने पर उपकार किया हो, वह व्यक्ति अपने पर गुस्सा करे और हम यह सोचकर कि 'यदि मैं गुस्सा करूगा तो यह व्यक्ति मुझ पर उपकार नहीं करेगा' उसके गुस्से को सहन करना उपकार क्षमा कहलाती है। (ख) अपकार क्षमा-किसी ने अपने पर गुस्सा किया हो और यह सोचकर उस गुस्से को सहन कर ले कि 'यदि मैं गुस्सा करूगा तो मुझे मारपीट आदि सहन करनी पड़ेगी अतः मौन रहना ही उचित है'-अपकार क्षमा है । (ग) विपाक क्षमा-'यदि मैं गुस्सा करूंगा तो इससे मुझे कर्मबंध हो जाएगा....मुझे बुरे परिणाम भोगने पड़ेंगे', ऐसा सोचकर दूसरे के गुस्से को सहन करना विपाक क्षमा कहलाती है। (घ) वचन क्षमा-'भगवान ने गुस्सा करने का निषेध किया है' इस प्रकार भगवद् वचन को याद कर क्षमा धारण करना वचन क्षमा है। (ङ) धर्म क्षमा-'क्षमा तो मेरी आत्मा का धर्म है' इस शान्त सुधारस विवेचन-२४२
SR No.022305
Book TitleShant Sudharas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasenvijay
PublisherSwadhyay Sangh
Publication Year1989
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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