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________________ प्रकाशकीय 'मूलशुद्धि प्रकरणम्' ग्रंथ का प्रकाशन करते हुए हम अत्यन्त हर्षान्वित हैं। प्रस्तुत ग्रंथ का प्रथम भाग कुछ समय पहले प्राकृत टेक्स्ट सोसायटी के द्वारा प्रकाशित हुआ था किन्तु उसका दूसरा भाग छप नहीं पाया था। हालाँकि दूसरे भाग का संपादन कार्य ही शेष था और इस कार्य के लिए पं. श्री दलसुखभाई मालवणियाजी एवं आचार्य प्रद्युम्नसूरिजी अत्यन्त चिंतित भी थे पर संजोग ही कुछ ऐसे बनते चले की कार्य खटाई में पड़ गया पर आखिरकर पंडित श्री अमृतभाई भोजक एवं आचार्यश्रीधर्मधुरंधरसूरीजी ने गंभीरतापूर्वक इस कार्य को हाथ में लिया और संपन्न किया । आज यह ग्रंथ दो भाग में प्रकाशित हो रहा है। यह ग्रंथ जैन सिद्धान्त के परिचय के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है । इस के प्रकाशन के लिए प्रज्ञाशील आचार्य श्री प्रद्युम्नसूरिजी म. की सतत प्रेरणा एवं अनुरोध रहे हैं और आचार्य श्री रत्नाकरसूरिजी म. के उपदेश से ग्रंथ प्रकाशन के लिए सुंदर आर्थिक सहयोग प्राप्त हुआ है, हम दोनों आचार्य भगवंतों के प्रति कृतज्ञताभाव व्यक्त करते हैं । रंज इस बात का है कि इस ग्रंथ के एक संपादक श्री अमृतभाई भोजक आज हमारे बीच नही हैं । यदि वे जीवित होते तो इस ग्रंथ के प्रकाशन से अवश्य संतुष्ट होते । पू. विद्वान् आचार्य श्री धर्मधुरंधरसूरिजी म. ने भी बड़ी मेहनत व लगन के साथ संपादनकार्य संपन्न किया है । वे हम उनके भी ऋणी हैं । इस ग्रंथ के प्रकाशन में आर्थिक सहयोग प्रदान करने वाले श्री झवेरी पार्क जैन संघ, अहमदाबाद का हम आभार व्यक्त करते हैं । हमें आशा एवं विश्वास है कि प्रस्तुत ग्रंथ जिसकी संरचना ग्यारहवीं शताब्दी के समर्थ जैनाचार्य आचार्य श्री प्रद्युम्नसूरिजी ने की है, जिज्ञासुजनों के लिए अत्यन्त उपयुक्त सिद्ध होगा । अहमदाबाद जितेन्द्र बी. शाह फरवरी - २००२...
SR No.022287
Book TitleMulshuddhi Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmdhurandharsuri, Amrutlal Bhojak
PublisherShrutnidhi
Publication Year2002
Total Pages348
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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