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________________ स्थापना चेयम् न करेइ सयं ६००० न कारवेइ ६००० अणुमन्नए न ६००० साहू मणसा २००० वयणक्कमेण २००० काएण कहवि २००० आहारसन्नापरिहीणो | रहिओ भयस्स सन्नाए ५०० विजित्तु मेहुणे सन्नं ५०० सन्नं परिग्गहे मोत्तुं ५०० ५०० सोइंदियसंवरणो चक्खिदियनिरवेक्खो १०० जिभिदियनिग्गहणो १०० घाणिदियहयपसरो १०० फासिदियपरिहरणो १०० १०० पुढविजिए १० | जलजीवे १० जलणजिए १० वाउजीवे १० वणस्सइ०१० बेइंदिय | तेइंदिय चउरिदिय | पंचिदिय | अजीवे 1१० | १० | १०। खंतिसंपण्णो १ मद्दवजुत्तो २ अज्जवसमेओ ३ | मुत्तिसंजुत्तो ४ | तवसमाजुत्तो ५ | संजमम्मि| सच्चया- सोयपरि- | कंचणवि- बंभचेर | थिरो ६ | सहिओ ७ सुद्धो ८ | मुक्को ९ | ठिओ १० मूलशुद्धिप्रकरणम्-द्वितीयो भाग: १. ला. यगहणपरो ।
SR No.022287
Book TitleMulshuddhi Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmdhurandharsuri, Amrutlal Bhojak
PublisherShrutnidhi
Publication Year2002
Total Pages348
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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