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________________ मूलशुद्धिप्रकरणम्-द्वितीयो भागः तह वि न सक्कइ घेत्तुं वेसाली जाव ताव नरवइणा । अमरिसवसेण गहिया इमा पइण्णा अइपयंडा ॥१९३॥ जइ रासभजुत्तेणं हलेण नयरिं इमं न खेडेमि । ता गिरिणो अप्पाणं मुयामि जलणे व्व पविसामि ॥१९४॥ नयरीए अभंगेणं खेइयचित्तस्स राइणो देवी । कूलयवालयसमणंगरुट्ठा गयणंगणे भणइ ॥ १९५॥ समणे जइ कूलवालए मागहियं गणियं गमिस्सए । लोया असोगचंद वेसालि नगलि गहिस्सए ||३७१ || || १९६ ॥ एयं च निसामिऊण भणियं कोणिएणं बालया जं च भासंति जं च भासंति इत्थिओ जा य उप्पाइया भासा, न सा भवइ अण्णा ||३७२ ॥ ॥१९७॥ ता कत्थ सो कूलवालओ ? कत्थ सा मागहिया गणिया ? । तओ भणियं मंतीहिं- देव ! मागहिया ताव तुम्हाण चेव नगरीए पहाणगणिया, कूलवालयं पुण न पाणाम। तओ नरोहगे सेसबलं निजोजिऊण सयं गओ चंपं । सद्दाविऊण भणिया मागहिया- 'भद्दे ! जहा कूलवालयसाहू ते पई भवइ तहा करेहि' । तओ भणियमणाए, अवि य r १७७ नियरूवबुद्धिजोव्वणपुलइयभणिएहिं तियसनाहं पि । आमि वसं पत्थव ? का संका सेसपुरिसेसु ॥१९८॥ तओ माया या कवडसाविया । तओ परमसाविय व्व करेइ जिणाययणेसु पूयाओ, पयट्टावए ण्हवण-बलि-जत्ता - महूसवे, देइ दीणा - ऽणाहाईसु दाणाई, पडिलाहए साहु- साहुणीओ गोरवेइ सिरिसमणसंघं, विहेइ साहम्मियति । तओ पत्ता परं पसिद्धि । पुच्छिया य तीए सूरिणो जहा-भयवं, को एस कूलवालओ ? तेओ अमुणियतयभिप्पाओ सूरी भणिउमाढत्तो -साविए ! अत्थि एगो पंचविहायारसुद्धिओ पवयणाहारो आयरिओ । तस्स एगो चेल्लओ । सो य असमायारिपयट्टो सारण - वारणाईहिं चोइज्जमाणो रोसमुवागच्छइ तहा वि आयरिया न विरमंति, जओ भणियमागमे रूसउ वा परो मा वा विसं वा परियत्तउ । भासियव्वा हिया भासा सपक्खगुणकारिया ॥ ३७३ ॥ १. सं. वा.सु. वाहेमि ॥ २. ला. 'या कूडसा° ॥ ३. ला. भणिउं पयत्तो ॥ मूल. २-२३
SR No.022287
Book TitleMulshuddhi Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmdhurandharsuri, Amrutlal Bhojak
PublisherShrutnidhi
Publication Year2002
Total Pages348
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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