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________________ १४६ मूलशुद्धिप्रकरणम्-द्वितीयो भागः इय बहुविहनिंदणयं अवमाणं ताडणं च लोगाओ । हीलणखि सण-गरिहणदुहाई लोगाउ पाविती ॥३५॥ हिंडइ घरघरेणं दुस्सहछुह-तण्हपीडिया अहियं । न लहइ पायं गासं करुणाए को वि पक्खिवइ ॥३६॥ 'परपुरिसरया अहयं अहयं भत्तारघाइगा पावा । अहयं कुलदूसणिया इय गरिहंती' परिब्ममइ ॥३७॥ कालंतरेण केणइ दुक्करतवचरणसोसियंगाओ । सीलंगवरहारससहस्सभरभारियतणूओ ॥३८॥ नवबंभचेरगुत्तीसणाहवरबंभचेरकलियाओ । बायालीसेसणदोसवज्जणादिण्णचित्ताओ ॥३९॥ समतिण-मणि-मोत्ताओ गोयरचरियाए विहरमाणीओ । दिट्ठाओ समणीओ समत्थदुक्खोहदलणीओ ॥४०॥ दवण तओ ताओ पयडसमुभिज्जमाणरोमंचा । पइमारिया विचिंतइ "अहो ! कयत्थाउ एयाओ ॥४१॥ जाहिं इमो वावारो विसयगओ दूरओ परिच्चत्तो । कामासत्ताइ मए कयं पुणो कि पि तं पावं ॥४२॥ जेणं नरयसमाणं इह चेव य दारुणं महादुक्खं । जायं परलोगे पुण पडियव्वमवस्स नरयम्मि ॥४३॥ ता वंदित्तु इमाओ अज्ज पवित्तं करेमि अप्पाणं" । इय भाविऊण पडिया समणीणं चलणजुयलम्मि ॥४४॥ तो साहुणीण तेयं असहंती वंतरी पलाणा सा । पाएसु पडतीए पडियं पिडयं तओ झत्ति ॥४५॥ तं समणीणऽणुभावं दट्ठणं विम्हिया दढं एसा । एयाओ मे सरणं भाविती जाइ ताहिं समं ॥४६॥ दट्ठणुवस्सयं तो गंतूण जलासयम्मि नियदेहं । पक्खालिय सुइभूया पविसइ समणीण वसहीए ॥४७॥ १. ला. नस्यसमाणं जेणं ॥
SR No.022287
Book TitleMulshuddhi Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmdhurandharsuri, Amrutlal Bhojak
PublisherShrutnidhi
Publication Year2002
Total Pages348
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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