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पडिबुद्धा अण्णे वि य, तण्णयरिनिवासिणो बहुलोगा। सद्धम्मविमुहचित्तं, एक मोत्तूण कुरुचन्दं तं च तहाविहमवलोइऊण, रण्णा विचिन्तियमिमस्स । नो उवगारो जातो, मए समं धम्मसवणेऽवि जइ पुण गेहसमीवे, ठिएहि सूरीहिं होज्ज धम्ममई । एयस्स पइखणं चिय, मुणिकिरियाऽऽलोयणवसेण ताहे वाहरिऊणं, कुरुचन्दो भासिओ नरिंदेण । हंभो देवाणुप्पिय !, जंगमतित्थं इमे गुरुणो ता एयाणं नियमन्दिरम्मि, थीपसुविवज्जिए देहि । वसहिं तयणु निसामेहि, धम्ममऽरिहंतपण्णत्तं धम्मो च्चिय दोग्गइमज्ज-माणमाणवसमुद्धरणधीरो। सग्गाऽपवग्गसुहफल-संपाडणकप्पविडवी य सेसं पुण खणभंगुर-मऽसारमच्चन्तमाऽऽहिजणगं च । पियपुत्तमित्तधणदेह-पमुहमेगंतसो मुणसु इय भणिए नरवइणा, कुरुचन्दो धम्मकम्मविमुहो वि । उवरोहेणं सगिहे, उवस्सयं देइ सूरीणं गुरुणो धम्मुवएसे, सुणेइ पेच्छइ य विविहतवनिरयं । ईसिं पडिबन्धबंधुर-हियओ निच्चं तवस्सिजणं तह वि हुन भावसारं, पडिवज्जइ वीयरायसद्धम्मं । कम्मगरुयाण किं वा, करेज्ज सुगुरूण संजोगो अह कप्पसमत्तीए, ठाणंऽतरमुवगएसु सूरीसु । ताराचन्दो राया, अहिगयजिणसमयसब्भावो कारियजिणिन्दभवणो, जत्तापूयाऽऽइकरणनिरयमणो। अणुकंपादाणाऽऽईसु, जहाविहाणेण वढ्तो गेहसमीवनिवेसिय-पोसहसालाए पोसहुज्जुत्तो। अट्ठमीचउद्दसीसु, अण्णेसु य धम्मदियहेसु पासं पिव गिहवासं, कप्पिंतो पावलोयपरिहारी। पवरुत्तरोत्तरगुणेसु, चित्तवित्तिं ठवितो य बाहिरवित्तीए च्चिय, चिन्तन्तो रज्जटुवावारं । सच्चरिएसु पयट्ट, अणुमोयंतो य धम्मिजणं आराहणाऽभिलासी, निम्मलपरिणामसंगओ सो य । मरिऊण अच्चुए दिव्व-देवरिद्धि समणुपत्तो कुरुचन्दो वि तहाविह-धम्मविहिवज्जिओ पमाई य । अट्टज्झाणोवगओ मरिठं तिरिएसु उववण्णो तत्तो उव्वट्टित्ता, महाडवीए पुलिदगो जातो। सत्थेण समं समणे, वच्चंते पेच्छिउं तत्थ एगंतनिलुक्केणं, तेणेरिसगा पुरा मया के वि। आसी दिट्ठत्ति विचिन्ति-रेण सरिओ सपुव्वभवो संभरिया य महागुण-मणिनिहिणो सगिहे वि धारिया मुणिणो। तेहिं पुणरुत्तदिण्णा, सरिया धम्मोवएसा वि तो चिन्तिउं पवत्तो, महाणुभावेहिं तेहिं तइयाऽहं । सासिज्जन्तो वि तहा, धम्मुज्जोगं न पडिवण्णो जइ वि हु महाणुभावेण, राइणा ठाविया मह गिहम्मि । गुरुणो उवयारठ्ठा, उवयारो तह वि नो जातो गुरुकम्मणो कहं मह, एत्तो होही सुधम्मसामग्गी। अहवा किमऽणेण विचिन्तिएण एवं ठितो वि लहुं काऊण अणसणं सास-णं च धरिठं मणम्मि जयगुरुणो । झायंतो ते च्चिय सूरिणो वि साहेमि नियकज्जं इय निक्कलंकसम्मत्त-संगतो उज्झिऊण आहारं । कुरुचन्दो सोहम्मे, मरिउं देवत्तमऽणुपत्तो एवं वसहिपयाणं, उवरोहकयं पि जणइ कल्लाणं । पाएण परभवम्मि वि, दंसियकुरुचन्दनाएणं ता सव्वसंगरहियाण, तियसमहियाण जयजियहियाणं । साहूण वसहिवियरण-परंमुहो कह बुहो होज्ज साहूण वसहिदणे, तब्बहुमाणा विसुद्धिभावेणं । अकलंकचरणसेवा, कम्मखओ निव्वुई य भवे
॥ २४५०॥ ॥ २४५१॥ ॥ २४५२॥ ॥२४५३॥ ॥ २४५४॥ ॥ २४५५॥ ॥ २४५६॥ ॥ २४५७॥ ॥ २४५८॥ ॥ २४५९॥ ॥ २४६०॥ ॥ २४६१॥ ॥ २४६२॥ ॥ २४६३॥ ॥ २४६४॥ ॥ २४६५ ॥ ॥ २४६६॥ ॥ २४६७॥ ॥ २४६८॥ ॥२४६९ ॥ ॥ २४७०॥ ॥ २४७१ ॥ ॥ २४७२॥ ॥ २४७३॥ ॥ २४७४॥ ॥ २४७५ ॥ ॥२४७६॥ ॥ २४७७॥
तहा
सोम्ममुणिदसणेणं, केई तद्धम्मदेसणाए परे। तक्कयदुक्करकिरियं, दळूणऽण्णे पबुज्झन्ति बुद्धा अण्णे पडिबोहयंति, कारिन्ति चेइयघराई । साहम्मियवच्छल्लं, करेन्ति साहूण विहिदाणं एवं तित्थविवड्ढी, थिरया सेहाण तित्थवण्णो य। जीवाणमऽभयदाणं, तम्हा एयम्मि जइयव्वं एवं सुगुरुसमीवा-दाऽऽयण्णिय भूवई विसिढेसु । वट्टेज्जा किच्चेसुं, निच्चं पि कयं पसंगण इय करणसउणिपंजर-तुलाए संवेगरंगसालाए। परिकम्मविहीपामोक्ख-चउमहामूलदाराए आराहणाए पणरस-पडिदारमयस्स पढमदारस्स । रायाभिहाणमेयं, पडिदारं अट्ठमं भणियं पुवुत्तगुणगणाऽलं-किओ विन विणा विसेसपरिणामं आराहेउं पारइ, पत्थुयमाऽऽराहणं जीवो
॥ २४७८॥ ॥ २४७९॥ ॥ २४८०॥ ॥ २४८१ ॥ ॥ २४८२ ॥ ॥ २४८३॥ ॥ २४८४॥