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________________ ४० उद्योत अने प्रत्याख्यानावरण क्रोध, मान, माया अने लोभ ४, ए आठ रहित अने आहारकद्विक आहारकशरीर अने आहारक अंगोपाग सहित ८१ प्रकृतिओ उदयमां होय । ७. अप्रमत्तगुणस्थाने - स्त्यानर्द्धित्रिक निद्रानिद्रा, प्रचला प्रचला अने स्त्यानर्द्धि अने आहारकद्विक आहारकशरीर अ आहारक अंगोपांग ए पांच रहित ७६ प्रकृतिओ उदयमां होय । ८. अपूर्व करणगुणस्थानमां सम्यक्त्वमो, मो., अंत्य संहननत्रिक - छेल्लां त्रण संघयण- अर्धनाराच, कीलिका अने छेवडे प चार रहित ७२ प्रकृतिओ उदयमां होय | ९. अनिवृत्तिबादर गुणस्थानमां- हास्यादि छ रहित ६६ प्रकृतिओ उदयमां होय | १०. सूक्ष्मसंपरा यगुणस्थाने-त्रण वेद - स्त्रीवेद, पुरुषवेद अने नपुंसक वेद, संज्वलन क्रोध, मान अने माया ए छ सिवाय ६० प्रकृतिओ उदयमां होय । ११. उपशांतमोहगुणस्थाने-लोभ रहित ५९ प्रकृतिओ उदयमां होय । १२. क्षीणमोह गुणस्थानमां-छेल्ला समयनी पहेला समयमां ऋषभनाराचद्विक ऋषभनाराच अने नाराचसंघयण रहित ५७ प्रकृतिओ अने छेल्ला समयमां निद्राद्विक-निद्रा, प्रचला रहित ५५ प्रकृतिओ उदयमां होय । - १३ सयोगिकेवलिगुणस्थाने - ज्ञानावरणीय ५, अंतराय ५, अने दर्शनावरणीय ४, ए चौद रहित अने जिननाम सहित ४२ प्रकृति भो उदयमां होय ।
SR No.022252
Book TitleKarmarth Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabhsagar Gani
PublisherAgamoddharak Granthmala
Publication Year1973
Total Pages98
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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