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________________ 98 : विवेकविलास अन्यदप्याह - ―― भोजनानन्तरं वामकटिस्थो घटिकाद्वयम् । शयीत निद्रया हीनं पूर्वं पदशतं व्रजेत् ॥ 61 ॥ भोजन करने के बाद पहले 100 कदम टहलना चाहिए और बाद में दो घड़ी बायीं करवट से निद्रा लेने के बिना सोना चाहिए । अङ्गमर्दननीहार भारोत्क्षेपोपवेशनम् । स्नानाद्यं च कियत्कालं भुक्त्वा कुर्यान्न बुद्धिमान् ॥ 62 ॥ बुद्धिमान् को भोजन करने के बाद थोड़ी देर तक अङ्ग मर्दन (मसाज) और निहार (मलमूत्र का त्याग ) नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार भार नहीं उठना चाहिए। बैठे नहीं रहना चाहिए और स्नानादि क्रियाएँ भी नहीं करनी चाहिए। प्रसङ्गानुसारेण घटिकायन्त्रलक्षणं - * दश ताम्रपलावर्ते पात्रे वृत्तीकृते सति । विधातव्यः समुत्सेधो घटिकायां षडङ्गुलः ॥ 63 ॥ विष्कम्भं तत्र कुर्वीत प्रमाणे द्वादशाङ्गुलः I षष्ट्यम्भः पलपूरेण घटिका सद्भिरिष्यते ॥ 64 ॥ ( युग्मम् ) (जलघड़ी निर्माण के लिए) दस पल (40 तोला ) ताँबे का गोलाकार पात्र तैयार करे। इसकी ऊँचाई छह अङ्गुल रखे और विस्तार (पूर्ण व्यास) बारह अङ्गुल का कल्पित करे जिसमें साठ पल (240 तोला ) जल डालने से भर जाए। (इस प्रकार बना हुआ यह पात्र पानी भरे पात्र में रखने से एक अहोरात्र या 24 घण्टे में साठ बार डूब जाएगा) इस प्रकार से विद्वानों ने घटिका का प्रमाण कहा है। मेषादीनां ध्रुवाङ्प्रमाणानुसारेण घटिकाज्ञानं - चतुश्चत्वारिंशदथो त्रिंशत्तदर्धविंशती । पञ्चदश त्रिशदपि चत्वारिंशच्चतुर्युताः ॥ 65 ॥ षष्टिः सद्वादशा षष्टिरशीतिश्च द्विसप्ततिः । षष्टिर्मेषादिषु ज्ञेया ध्रुवाङ्काः शतसंयुताः ॥ 66 ॥ रविं दक्षिणतः कृत्वा ज्ञात्वा छायापदानि च । तैः पादैः सप्तसंयुक्तैर्भागं कृत्वा ध्रुवाङ्कतः ॥ 67 ॥ नारदसंहिता में घटिकायन्त्र की विधि इसी प्रकार आई है - षडङ्गुलमितोत्सेधं द्वादशाङ्गुलमायतम् ॥ कुर्यात् कपालवत्ताम्रपात्रं तद्दशभिः पलैः । पूर्ण षष्टिर्जलपलैः षष्टिर्मञ्जति वासरे ॥ माषमात्रत्र्यंशयुतं स्वर्णवृत्तशलाकया । चतुर्भिरङ्गुलैरापस्तथा विद्धं परिस्फुटितम् ॥ कार्येणाभ्यधिकः षड्भिः पलैस्ताम्रस्य भाजनम्। द्वादशं मुखविष्कम्भ उत्सेधः षड्भिरङ्गुलैः ॥ स्वर्णमासेन वै कृत्वा चतुरङ्गुलकात्मकः । मध्यभागे तथा विद्धा नाडिका घटिका स्मृता ॥ ( नारद. 29, 86-90)
SR No.022242
Book TitleVivek Vilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreekrushna
PublisherAaryavart Sanskruti Samsthan
Publication Year2014
Total Pages292
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size22 MB
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